खखरेरु फतेहपुर हाल ही में धाता खंड शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय केशवरायपुर केवटमई में सरकारी किताबों को फाड़कर बच्चों को हलुवा बांटने की जो तस्वीर सामने आई है उसमें जांच के बाद विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दिए जाने की जानकारी बेसिक शिक्षाधिकारी पंकज यादव ने दी लेकिन इसी विद्यालय की एक और तस्वीर ने स्कूली क्रियाकलापों पर फिर सवाल खड़ा कर दिया है। पढ़ने के लिए आए बच्चों से मैदान की घास साफ कराई जा रही है,झाड़ू लगवाई जा रही है तो गांव से गोबर मंगवाकर पूरे मैदान की लिपाई कराई जा रही है हिन्दी दैनिक अखबार इस वायरल तस्वीर की पुष्टि नहीं करता है
अब सवाल यह उठता है कि पढ़ाई के किस हिस्से में इसे रखा जाए?यह शारीरिक शिक्षा का हिस्सा है या सामाजिक क्रियाकलापों का या फिर मनमानी का। बड़ा यक्ष प्रश्न एक और खड़ा है कि शासन स्तर पर गांवों में तैनात सफाई कर्मियों को स्कूलों की साफ सफाई के निर्देश दिए गए हैं तो फिर क्या सफाई कर्मी गांवों में नहीं पहुंच रहे हैं।जिस तरह से एक बार फिर केवटमई विद्यालय की तस्वीर सामने आई है उससे तो सहसा ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय में बच्चों को शिक्षा किस स्तर की दी जा रही होगी। एक ओर सरकारी किताबों को फाड़ा जा रहा है तो दूसरी ओर नौनिहालों के भविष्य को साफ-सफाई तक सीमित करने की कोशिश की जा रही है। प्रधानाध्यापक सतीश सिंह चंदेल की कार्य प्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है।मनमानी का आलम तो यह रहा की जो तस्वीर सामने आई है उनमें विद्यालय के अंदर लगाई गई इंटरलॉकिंग तक में छात्राओं से गोबर की लिपाई कराई गई।* विद्यालय के शिक्षकों पर ग्रामीणों ने कई-कई दिन तक गायब रहने का भी आरोप लगाया है।अव्यवस्थाओं का राज छिपा रहे इसके लिए शिक्षक एक-दूसरे के मददगार रहते हैं और अधिकारी जांच के नाम पर खानापूरी करते हैं। अब जब झाड़ू पोंछा और लिपाई-पुताई का कार्य बच्चे विद्यालय में करेंगे तो फिर पढ़ाई और उनका भविष्य तो राम भरोसे ही रहेगा।