पत्रकारो के हालात सुधारने के लिए सरकार कब उठाएगी कदम
🖋️ पवन कुमार श्रीमाली🖋️
सही मायने में देश का चौथा स्तंभ कहा जाने पत्रकार जो कि समाज का आईना होता है जोकि सुबह होते ही घर से निकलते ही ओछे तानों की बारिश में भीगते हुए समाज में मजबूती से जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार, अपराध, अपवाद, कुरितियां व जनसमस्याओं को उजागर करना व गरीब,मजदूर दबे कुचलो की मदद करते हुए उनकी आवाज को बुलन्दी से उठाने वाले पत्रकार की अगर दिनचर्या पर नजर डाली जाए तो सुबह से लेकर शाम तक काम – काम खाना हराम वाली कहावत एकदम सटीक बैठेगी बिना तनख्वाह के रात दिन मेहनत करते हैं तब कहीं जाकर पूरी हो पाती है एक पत्रकार की सामाजिक जिम्मेदारियां इस भाग दौड़ भरे माहौल व महंगाई के दौर पत्रकार के परिवार का भरण पोषण पोषण कैसे होता है यह आज तक किसी भी सरकार के विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री ने जानने की जहमत नहीं उठाई है और तो और इस झूठ भरी दलदल में सच को उजागर करने पर कहीं न कहीं माफियाओं की दुश्मनी का सामना भी एक पत्रकार को अकेले ही करना पड़ता है क्योंकि सरकारों के झोले में भी पत्रकारों के हित में कुछ नहीं होता है बड़ी विडम्बना है कि लोकतांत्रिक देश में कैसे महफूज होगा देश का चौथा स्तंभ पत्रकारो की स्थिति व सुरक्षा के लिए जागेंगी सरकार कब आएगी पत्रकारो के जीवन खुशहाली की बौछार