फतेहपुर जनजातीय गौरव दिवस कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार के दिशानुरूप जन शिक्षण संस्थान फतेहपुर द्वारा संस्थान द्वारा समस्त प्रशिक्षण केन्द्रों पर भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया गया। समस्त प्रशिक्षण केन्द्रों पर लाभार्थियों एवं उपस्थित जनसमुदाय के बीच आदिवासी समुदाय से स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा के जीवनी पर प्रकाश डाला गया। संस्थान द्वारा संचालित चाँदपुर स्वयं सहायता समूह के लाभार्थियों के बीच संस्थान के निदेशक विजय कुमार श्रीवास्तव ने भगवान बिरसा मुण्डा के प्रखर व्यक्त्तिव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समुदाय का भी बहुत योगदान रहा है उन्ही में से भगवान बिरसा मुण्डा थे जिन्होने स्वतंत्रता संग्राम के साथ साथ अपने समुदाय के लोगों को धर्मान्तरण के प्रति जागरूक किया। इनकी माता का नाम करमी हातू एवं पिता का नाम सुगना मुण्डा था। बृहस्पतिवार के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम बिरसा पडा। यहाँ यह ध्यान देना होगा कि तत्कालीन समय अंग्रेज अपना पैर पसार रहे थे तो सुगना जैसे लोगों की गुलामी जैसी स्थिति के कौन जिम्मेदार, किसने गुलाम बनाने की कोषिष की? सच तो यह है एक तरफ अंग्रेज गुलाम बना रहे थे और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म को कोसकर उनका ईसाईकरण कर रहे थे। सन 1897 में पारित बंगाल काष्तकारी कानून के खिलाफ बिरसा मुण्डा ने आन्दोलन किया था। बिरसा मुण्डा के आहवाहन मात्र पर वनवासी अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार थे। बिरसा परमात्मा के प्रति गहरी आस्था रखते थे। उक्त कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी श्री कैलाश सिंह, चन्द्रशेखर, लक्ष्मीनारायण एवं प्रशिक्षक प्रशिक्षिका मौजूद रहे।