• जनसूचना के लिफाफों में जनसूचना के बजाय सादा पेपर भेज रहे जिम्मेदार
  • सूचना अधिकार अधिनियम 2005 का खुल्लम खुल्ला खिल्ली उड़ा रहा जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग
  • विभाग द्वारा लिफाफे में सादा पेपर भेजने व उसे खोलने की वीडियो क्लिप बना विभाग को घेरने की तैयारी कर रहे आवेदक

बस्ती। सरकारी योजनाओ को पारदर्शी बनाने की मंशा से सूचना का अधिकार अधिकार अधिनियम 2005 अमल में लाया गया था परन्तु जैसे – जैसे अधिनियम में फेरबदल होते गए अधिनियम कमजोर सा हो गया । शुरुआती दिनों में सूचना अधिकार के तहत प्राप्त आवेदन का जो प्रभाव होता था वर्तमान में अब नहीं रह गया । जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में सूचना अधिकार अधिनियम मृतप्राय सा हो गया है क्योंकि यहाँ पर जिम्मेदारों द्वारा जनसूचना के स्थान पर सादा पेपर लिफाफों में भेजकर आवेदकों का खुलेआम गला घोंट कर सूचना अधिकार के उद्देश्यों को खुलेआम पलीता लगाया जा रहा है ।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद स्तर पर स्थापित कार्यालय बेसिक शिक्षा अधिकारी अपनी अजूबी कार्यशैली को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है मामला चाहे गैर मान्यता विद्यालयों के संचालन का हो या फिर अध्यापकों के उत्पीड़न के बदले फिरौती का । बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार सर्वत्र जगह व्याप्त है जिसका नतीजा है कि कई बाबू अंगद की तरह पांव जमाए स्थानान्तरण नीति का खुला मखौल उड़ा रहे हैं । इन दिनों कार्यालय में एक नया भ्रष्टाचार का ट्रेंड लांच हो गया है जिसके तहत जनसूचना आवेदकों को जनसूचना के बजाय लिफाफे में सादा पेपर भेजा जा रहा है और सूचना अधिकार का खुला मखौल उड़ाया जा रहा है । कार्यालय में लगातार बदलता हुआ भ्रष्टाचार का ट्रेंड इस बात का संकेत है कि भ्रष्टाचार कहीं एक जगह पर नहीं है बल्कि पूरा सिस्टम ही भ्रष्टाचार में शामिल है ।

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