आज बाबा साहेब की 69वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। जिसके लिए संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल पर समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य मंत्रीगण डॉ. भीमराव अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि डॉ. भीमराव अंबेडकर संघर्षकर्ता थे। जिन्होंने समाज में हो रही भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया। जिसका नतीजा यह हुआ कि आखिरकार दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान उनकी अध्यक्षता में तैयार किया गया। उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के महत्व को समझाया है। साथ ही महिलाओं को आजादी दिलाई है। दलित और गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें बचपन से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वह अपने इरादे में मजबूत थे। इसलिए उन्होंने कभी हार नहीं मानी और सच्चाई, ईमानदारी के साथ जीवनयापन किया। उनका यह सपना था कि भारत में हर इंसान को एक समान अधिकार मिले, जिसे उन्होंने सफल कर दिखाया।
अब बता दें कि इस दिन महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है। जिसका बड़ा कारण यह है कि उन्होंने साल 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस धर्म में महापरिनिर्वाण शब्द का अर्थ है, “मृत्यु के बाद मुक्ति”। यह शब्द मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बाबा के अनुयाई उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं। सेमिनार, स्पीच, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य बहुत सी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि आज जब देश उनके योगदान को याद कर रहा है तो वे उनकी दृष्टि को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहराते हैं. उन्होंने और‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘महापरिनिर्वाण दिवस पर, हम अपने संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रतीक डॉ. बाबासाहेब को नमन करते हैं.’और-लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी बाबा साहेब अंबेडकर को याद करते हुए अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा, “राष्ट्रनिर्माता, सामाजिक न्याय के प्रहरी और भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. समतामूलक समाज का उनका स्वप्न, उनकी अमूल्य शिक्षाएं और संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे