- डाक्टर दम्पत्य के खिलाफ पत्रकार ने प्रकाशित किया था खबर
- सात साल से ज्यादा अवधि से डाक्टर दम्पत्य जनपद में अंगद की तरह जमाया है पाँव
- सरकारी नौकरी के साथ ही डाक्टर दम्पत्य द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस से जुड़ा मामला बस्ती – यद्यपि देश को आजादी 1947 में ही मिल चुकी है परन्तु कुछ सिरफिरे अभी भी 1947 के पहले का काल लाना चाहते हैं और जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए वह काम करना चाहत हैं । आजादी के पूर्व भी न्यूज पेपर प्रकाशित और आजाद भारत में कुछ लोग न्यूज पेपर का प्रकाशन बन्द करने के असफल प्रयास में लगे हैं ।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डा० सरफराज व उनकी पत्नी शिबा खान विभागीय दुरभि संधि के चलते जनपद में 7 वर्षो से ऊपर समय से जमे हुए हैं व सरकारी नौकरी के साथ – साथ अपना निजी अस्पताल चलाकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं । सरकारी नौकरी व प्राइवेट प्रैक्टिस नियम विरुद्ध प्रक्रिया में सम्मलित है । इसी मुद्दे को लेकर नव्य संदेश प्रवाह समाचार पत्र ने क्रमिक व निर्णायक मुहिम छेड़ा हैं । खबर से बौखलाए डाक्टर दम्पत्य अपने अधिवक्ता के माध्यम से लीगल नोटिस देकर समाचार पत्र के संपादक से एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांग रहे हैं तथा अनावश्यक दबाव भी बना रहे हैं । यद्यपि मामले में जाँच समिति बनी हुई है मगर पूरा सीएमओ कार्यालय आकंठ भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं इसलिए कार्यवाही शासन के ही दखल पर सम्भव दिख रही है ।