कोटवाधाम बाराबंकी अमरा देवी मंदिर सातवे दिन और अन्तिम दिन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथा वाचक बब्लू महाराज ने श्री कृष्ण-रुक्मिणी का विवाह की कथा सुनाई उन्होंने कहा कि यह विवाह किसी साधारण वर कन्या का विवाह नहीं है। यह जीव और ईश्वर का विवाह है। उन्होंने कहा कि रुक्मिणी ने श्री कृष्ण को पत्र लिखा कि जैसे आप निर्विकार हैं, वैसे ही मैं भी निष्काम हूं। मेरा जीवन आपको समर्पित हैं रुक्मिणी की भांति जब जीव निष्काम होकर निर्विकार परमात्मा को पुकारता है तो भगवान उसका उद्धार करने में देर नहीं करते। भागवत कथा के महत्व को बताते हुए महाराज जी ने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं। विवाह उत्सव के दौरान प्रस्तुत किए गए भजनों के दौरान श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और जमकर नाचे। इस विवाह के साक्षी रहे श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर श्रीकृष्ण-रुक्मिणी को उपहारों की सौगात दी भक्ति भावना के साथ कन्यादान के रूप में भेंट अर्पित की। श्रीकृष्ण रुकमणि विवाह धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कृष्ण-रुकमणि विवाह का प्रसंग सुनाया गया। साथ ही कृष्ण-रुक्मणी की सजीव झांकी सजाई गई। भागवत भगवान की है आरती पापियों को पाप से है तारती..भगवान की स्तुति कर भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद लिया इस अवसर पर राज कुमार पाण्डे, दुखराजपाण्डे, राजू पाण्डे, सुधीर पाण्डे हिमांशू, अमित, सदाशिव पाण्डे, छोटू, आदि लोग उपस्थित रहे

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