हमारे ऋषियों मुनियों की योग विधा ने भारत का पूरे विश्व में मनवाया लोहा :

प्रतिदिन योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है, हम सबको योगासन करना चाहिए :

योग स्वयं के लिये एवं समाज के लिये भी बहुत ही महत्वपूर्ण, सभी को योग से जुड़ना चाहिए : समाज सेवी पत्रकार बलवान सिंह

बाराबंकी योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। योग के महत्व को बताने के लिए और लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बनाया जाता हैं। दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की थी, तब से हर साल दुनियाभर में बड़े स्तर पर योगाभ्यास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस अवसर पर समाज सेवी पत्रकार बलवान सिंह ने कहा कि ऋषियों मुनियों का अनमोल उपहार हमें योग के रूप में मिला है। इसे जीवन में अपनाने से कई व्याधियों से छुटकारा पा सकते है। योग की विधा ने भारत का लोहा पूरे विश्व में मनवाया हैं। योग स्वयं के लिये एवं समाज के लिये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। सभी को योग से जुड़ना चाहिए। योग खुद को स्वस्थ्य रखने के लिये एवं मानसिक मजबूती के लिये सर्वोत्तम विधा है, क्योंकि इसमें किसी भी दवा का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। योग ऐसी विधा है जो शरीर को असीमित ताकत प्रदान करती है। इसको हमारे ऋषियों मुनियों ने सावित भी किया है और आज़ योग की विधा ने भारत का लोहा पूरे विश्व में मनवाया है। तो आइये हम सभी इस अवसर पर योग शपथ लेकर उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करें। गर्मियों में ऐसे आसन व प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए जिससे चंद्र नाड़ी प्रभावित हो और शरीर गर्मी के प्रभाव से अपना बचाव अच्छी तरह कर – सके। योग के नियमित अभ्यास से हम अपने जीवन के प्रत्येक कर्म को अधिक कुशलतापूर्वक कर सकते हैं। जैसा कि श्रीभगवान गीता में कहते है योगः कर्मसु कौशलम। प्रतिदिन योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है। हम सबको योगासन करना चाहिए। योग मनुष्य के जीवन का एक हिस्सा है योग से शरीर के साथ- साथ मस्तिष्क का भी विकास होता है। जो मनुष्य के जीवन में एक नई ऊर्जा प्रदान करता है।

उन्होने माननीय प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया कि उनके प्रयासों से ही योग की विधा से पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधा गया है। आज विश्व के अधिकांश देशों ने योग की महत्ता को समझते हुये प्रतिवर्ष 21 जून को अपने वहां योग दिवस के कार्यक्रम आयोजित करते है। दुनिया के 57 मुस्लिम देशों में भी योग का आयोजन किया जा रहा है। योग सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्रतिदिन योग करने से शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है। योग हमारे सनातन संस्कृति और मानव समाज के लिये एक बहुत बड़ा वरदान है। हमारे ऋषियों संतों या कहे तो आदि योगी भगवान शंकर ने योग को हमें एक स्वरूप हमें दिया है। सिंधु सभ्यता से लेकर हमारे वेदों तक में योग का वर्णन है। महर्षि पंतजलि शास्त्र में इसे सूत्रबद्ध कर सभी के लिये सहज रूप में उपलब्ध कराया है। योग को हमें अपने जीवन के आचार विचार में शामिल करना होगा। योग हमारे शारीरिक, मानसिक मजबूती एवं आध्यत्मिक चेतना के लिये महत्वपूर्ण है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग से जोडने का काम किया। प्रत्येक कार्य को कुशलतापूर्वक करने के लिये योग एक साधन है। सभी व्याधियों से शरीर को निरोग बनाने के लिये योग हमें ताकत प्रदान करता है। योग खुद को स्वस्थ्य रखने के लिये एवं मानसिक मजबूती के लिये सर्वोत्तम विधा है। योग के बल से ही हमारे ऋषियों मुनियों ने अनेक सिद्धियां प्राप्त कर जनमानस के कष्टों को दूर किया। वर्तमान परिदृश्य में मनुष्य को बीमारियों से – बचाने तथा अनेकों जटिल बीमारियों को ठीक करने में योग के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है, जिससे बिना पैसे खर्च किए स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता रहता और व्यक्ति एवं समाज पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता है। योग खुद को स्वस्थ्य रखने के लिये एवं मानसिक मजबूती के लिये सर्वोत्तम विधा है, क्योंकि इसमें किसी भी दवा का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। योग ऐसी विधा है, जो शरीर को असीमित ताकत प्रदान करती है। इसको हमारे ऋषियों मुनियों ने सावित भी किया है। योग सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्रतिदिन योग करने से शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है। योग हमारे सनातन संस्कृति की मानव समाज के लिये एक बहुत बड़ा वरदान है। हमारे ऋषियों संतों या कहे तो आदि योगी भगवान शंकर जी ने योग को हमें एक स्वरूप हमें दिया है। सिंधु सभ्यता से लेकर हमारे वेदों तक में योग का वर्णन है। महर्षि पंतजलि शास्त्र में इसे सूत्रबद्ध कर सभी के लिये सहज रूप में उपलब्ध कराया है। योग को हमें अपने जीवन के आचार विचार में शामिल करना होगा। योग हमारे शारीरिक, मानसिक मजबूती एवं आध्यत्मिक चेतना के लिये महत्वपूर्ण है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग से जोडने का काम किया। प्रत्येक कार्य को कुशलतापूर्वक करने के लिये योग एक साधन है। सभी व्याधियों से शरीर को निरोग बनाने के लिये योग हमें ताकत प्रदान करता है। इस बार पुरे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर योग सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। 21 जून को प्रत्येक पाकों एवं सार्वजनिक स्थलों को योग के लिये चुना गया है। जिससे कि प्रत्येक जन को योग से जोड़ा जा सके। इस वर्ष की थीम योग स्वयं के लिये एवं समाज के लिये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस साल नवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखी गई है। जी-20 का मोटिव वन अर्थ-वन फैमिली-वन फ्यूचर। हमारी संस्कृति में भी वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना समाहित है। इसी भावना ने योग से सम्पूर्ण विश्व को जोड़ा हैं।

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