लखनऊ।उत्तर प्रदेश में गठबंधन धर्म की परीक्षा की घड़ी आ चुकी है।चुनावी रथ जैसे -जैसे पूरब की ओर बढ़ेगा गठबंधन धर्म की परीक्षा कड़ी होगी।गठबंधन चाहे एनडीए का हो या इंडी का रिश्तों में ईमानदारी की कसौटी पर दोनों ही कसे जाएंगे।भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों के लिए परीक्षा अधिक कड़ी है। इंडी के लिए भी कुछ कम नहीं है।इसका एक बड़ा कारण गठबंधन में शामिल सहयोगियों की पृष्ठभूमि है।
यूपी में भाजपा का सुभासपा,निषाद पार्टी और अपना दल (एस) से गठबंधन है।सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर पूर्वांचल में बहराइच से लेकर बलिया तक और गोंडा से लेकर गाजीपुर तक फैली राजभर बिरादरी के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं।इसी तरह निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद कानपुर,कन्नौज से लेकर गोरखपुर और गाजीपुर तक निषाद बिरादरी और अनुप्रिया पटेल बरेली और बुंदेलखंड से लेकर मिर्जापुर तक फैली यूपी की लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ी आबादी के प्रतिनिधित्व का दावा करती हैं। इनमें सचान, वर्मा, कटियार और कुर्मी नामों से चर्चित 9 प्रतिशत हिस्सेदार