जोधपुर। 4 मई 2024: एमजीएम हेल्थकेयर चेन्नई महानगर के बीच में एक मल्टी-स्पेशियलिटी क्वाटरनरी केयर संस्थान है। इस संस्थान के माध्यम से छोटे आंत सिंड्रोम से पीड़ित कार्य पर गर्व महसूस कर रहा है। जोधपुर के रहने वाले करण जिदंगी से जंग लड़ रहा था। उसकी छोटी आंत को नया जीवन मिला। 9 वर्षीय बच्चे का सफल ट्रांसप्लांट संस्थान अपने चिकित्सकीय सचिन (परिवर्तित नाम), जो कई जानलेवा स्वास्थ्य जटिलताओं के ट्रांसप्लांट यानी प्रत्यारोपण किया गया। इससे इन मासूम बच्चे की
एमजीएम हेल्थकेयर में इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टी-विसरल एंड एब्डॉमिनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक प्रोफेसर डॉ. अनिल वैद्य और उनकी टीम ने मरीज को ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के माध्यम से जिदंगी की जंग में विजय बनाने हुए मुरक्षित रूप से बाहर निकाला।
सचिन (बदला हुआ नाम) मई 2023 में अपने जोधपुर स्थित घर में एक सौदी से फिसलकर गिर गया था। इसके परिणामस्वरूप उनका पैर फैक्चर हो गया था। जोधपुर के एक अस्पताल में उनके पैर के फैक्चर का इलाज किया गया। हालांकि कुछ ही दिनों बाद उसे असहनीय पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ और उल्टी होने लगी। बच्चे की हालत तेजी से बिगड़ने लगी। एसे में उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जोधपुर के अस्पताल में पुनः प्रवेश के दौरान यह पता चला कि उसे आंत में गैंग्रीन हो गया है जोधपुर के विशेषज्ञों ने उसकी छोटी आंत को हटाने के लिए सर्जरी की। परिणामस्वरूप बच्चे में शॉर्ट गट सिंड्रोम विकसित हो गया। शॉर्ट बाउल सिंड्रोम वाले मरीज जीवन को बनाए रखने के लिए अपने भोजन से पर्याप्त पानी, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित करने में असमर्थ होगे। उसका वजन बहुत कम हो गया और वह कुपोषित हो गया। आपातकालीन स्थिति में सचिन को एमजीएम हेल्थकेयर में एयरलिफ्ट किया गया, क्योंकि उनके पास जोधपुर में उपचार के सभी विकल्प समाप्त हो गए थे। बच्चे का वजन केवल 16 से 17 किलोग्राम था और शॉर्ट बाउल सिंड्रोम के कारण वह गंभीर रूप से कुपोषित था। उसे पोषण की आवश्यकता थी। इस पर डॉक्टर की टीम ने उन्हें टोटल पैरेंट्रल न्यूट्रिशन (टीपीएन) के लिए एक विशेष उपचार पर शुरू किया। इस बीच री-फीडिंग सिंड्रोम के कारण उसे हृदय संबंधी समस्याएं भी विकसित हो गई। मनीष मेहता की रिपोर्ट जोधपुर राजस्थान से