पूरा मामला तहसील रामनगर अंतर्गत ग्राम पंचायत तेलवारी का है। जहां पर सुरेन्द्र कुमार सिंह की‌ पकी गेहूं की फसल बर्बाद होने के कगार पर है।और एक मास पहले कटी सरसों की फसल बर्बाद हो गयी ।जहां पर लेखपाल बीर सिह किसान की सुनने को तैयार नहीं है। एक तरफ किसान अपने खेत को जाने का रास्ता मांग रहा है। उपजिलाधिकारी से भी गुहार लगा चुका है। उपजिलाधिकारी के आदेश पर लेखपाल मौके पर पहुंच कर मुआयना किया।और चक मार्ग पर कब्जा करने वाले बिपक्षियो से मिली भगत करते हुए वापस आकर उपजिलाधिकारी को समझाते हुए बताया ।कि पूर्ण ग़लती शिकायतकर्ता की है। लेखपाल की बातें सुनकर उपजिलाधिकारी भी किसान को रास्ता दिलाने में असमर्थ हैं। कम से कम उपजिलाधिकारी स्वयं मुयायना करते तो किसान की कटी सरसों की फसल बर्बाद न होती।और गेहूं की लगी फ़सल बर्बाद होने के कगार पर है।जो कि किसान के पास जीविका हेतु केवल उतनी ही फ़सल गेहूं की उपलब्ध है।और कोई जीबिका का स्रोत नहीं है। एक तरफ योगी जी का फरमान जारी है ।कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालो के ऊपर सख्त कारवायी की जायेगी। वही क्या सरकारी नौकरी कर रहे क्षेत्रीय लेखपाल अगर ग़लती करता है ।तो उसके ऊपर कौन सी कार्यवाही प्रषासन करता है । वही लेखपाल का कहना है। किसान को सरकारी रास्ता न दिलाकर लेखपाल बिवाद का नया ज़न्म दे रहे हैं। वही अगर देखा जाए ।तो लेखपाल द्वारा मोटी रकम के बदले चारागाह की भूमि पर कब्जा करवा जाते हैं। जबकि क्या कोई ऐसा नियम है ।कि चारागाह की जमीन को पट्टा करवा कर दूसरे के हाथ बेच दिया जाये।अगर प्रषासन ध्यान दें। तो इतना ही नहीं।हर वर्ष लेखपाल द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है। कि सरकारी जमीन पर किसी का कब्जा नहीं है। समस्त सरकारी जमीन खाली पडी है।

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