युवा विकास समिति के सदस्य जीवप्रेमी गर्मी में पक्षियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। जीव प्रेमियों ने पक्षियों के लिए पानी और कृत्रिम घोंसला बनाकर अनोखी पहल की है। शहर में आबादी बढऩे से लुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए कृत्रिम घोंसलों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। गौरैया आबादी वाले क्षेत्र में घोंसला बनाकर रहती है। घर-आंगन में पेड़ों की कमी, कटते जंगल, प्रदूषण और पानी की कमी ने गौरैया के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। संसार में गौरैया की आबादी तेजी से घट रही है। घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) को शहरों में बहुमंजिली इमारतों में कहीं जगह नहीं मिलती है। जीवप्रेमी पवन टायल ने बताया कि शहरो में सुपर मार्केट संस्कृति से पुरानी पंसारी की दुकानें घट रही हैं। मोबाइल टावरों से निकली तरंगें गौरैया के लिए जानलेवा सिद्ध हुई हैं। यह तरंगें चिडिय़ा की दिशा खोजने वाली प्रणाली को प्रभावित करती हैं। इससे प्रजनन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।

युवा विकास समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा ने कहा कि शहरों में चुग्गे वाली जगह पर कबूतर ज्यादा रहते हैं। परन्तु, गौरैया के लिए इस प्रकार के इंतजाम नहीं हैं। भोजन और घोंसले की तलाश में गौरैया शहर से दूर निकल जाती है, जहा अपना नया ठिकाना तलाश कर लेती है। जीवप्रेमियों ने घरों की दीवारों पर गौरैया के लिए कृत्रिम घोंसला रखने का आग्रह किया है। कृत्रिम घोंसला कागज के गत्ते, बॉक्स, लकड़ी का बनाया जा सकता है। युवा विकास समिति के पदाधिकारी ने अभी तक लगभग 1500 कृत्रिम घोंसले उपलब्ध कराए हैं। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष कंचन मिश्रा, राहुल दीक्षित जी, रजत अवस्थी जी आशुतोष जी रहे .

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