सौ बार जन्म लेंगे सौ बार फना होंगे…..!! हिंदी फिल्म का यह गीत काफी पुराना है। काफी पुराना गीत होने के बाद भी उन लोगों पर सटीक बैठता है जो रोज कमाने और खाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहे। यहां तक इनकी इस दिनचर्या से इनका वा इनके परिवार का ही नहीं बल्कि उन लोगों का भी पेट भरता हैं जो फतेहपुर मुख्यालय अपने काम को लेकर आते हैं। फिर उन्हें ही बार बार प्रशासनिक कार्रवाई का शिकार होना पड़ता है। कई बार इस कारवायी का शिकार हो कर उजड़ कर मरना पड़ा और कई बार अपना व्यापार जिंदा करना पड़ा। हम यहां फुटपाथ पर चोखा बाटी लगाने वाले लोगों की बात कर रहे हैं। आ स्थाई व्यवस्था कर अपना व्यापार शुरू करने वाले लोगों के दर्द को अब तक किसी ने नहीं सुना और न ही इनके लिए कोई स्थाई हल निकला है।
फतेहपुर शहर के पत्थर कट्टा चौराहे से कचहरी रोड पर आप जैसे ही चलेंगे थोड़ी दूर पर करीब आधा दर्जन लोग सड़क किनारे अस्थाई व्यवस्था कर चोखा बाटी लगाने का काम करते हैं। शहर आने वाले लोग यहां रुक कर अपना पेट भरते हैं सस्ता व शुद्ध होने के बाद दोपहर का लंच मान लेते हैं। यहां आने वाले लोगों का ही नहीं बल्कि चोखा बाटी लगाने वाले लोगों का भी यह व्यवसाय पेट भरता है। अब ऐसे में इन्हें बार-बार उजाड़ना और बार-बार उठ खड़ा होना किसी भी कीमत पर न्याय संगत दिखाई नहीं देता।
सवाल तो उन लोगों से पूछा जाना चाहिए जो चोखा बाटी लगाने वाले लोगों को उजाड़ने का काम करते आ रहे है। क्या उजाड़ने वालों को इसका स्थाई हल नहीं निकलना चाहिए।