बलवान सिंह
बाराबंकी भारत सरकार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। किसानों के मसीहा पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंहा राव और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ देने का एलान किया है। केंद्र सरकार के इस कदम के बाद राजनीति बयान सामने आ रहे हैं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर समाजसेवी पत्रकार बलवान सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। चौधरी साहब को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिए जाने पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। चौधरी चरण सिंह जी को किसानों का मसीहा कहा जाता है। वे देश के एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने वँचितों एवं किसानों के हित में क्रांतिकारी काम किए हैं। चौ. चरण सिंह जी ने अपने सिद्धातों से कभी समझौता नहीं किया और इसी कारण मुख्यमंत्री पद से दो बार इस्तीफा दे दिया। चौधरी साहब ने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। जितने भी लोगों को भारत रत्न मिला है उनको बहुत बधाई और शुभकामनाएं। भारत रत्न से सम्मानित किए गए चौधरी साहब का आगरा से भी गहरा रिश्ता रहा है, 1925 में उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी किया और 1927 में आगरा कॉलेज से ही इतिहास में ऍमऐ किया। 1928 में लॉ प्रथम वर्ष पास किया तथा लॉ द्वितीय वर्ष मेरठ से किया। 1925 में दलितों के साथ सहभोज कार्यक्रम घोषित किया था। इसका अनुपालन करते हुए चौधरी साहब ने आगरा में दलितों के साथ सहभोज किया। इस पर छात्रावास के साथियों ने मैस से उन्हें निकाल दिया था,वे एक माह तक बलका बस्ती में रहे। वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे असहाय कमजोर वंचित दलित एवं किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में भारत सरकार ने जिन भी हस्तियों को भारतरत्न से सम्मानित किया है उसका स्वागत है, लेकिन इस मामले में खासकर दलित हस्तियों का तिरस्कार और उपेक्षा करना कतई उचित नहीं है। सरकार को इस ओर भी जरूर ध्यान देना चाहिए क्योकि सब जानते हैं कि दलितों के हितों के लिए मान्यवर काशी राम जी ने कड़ा संघर्ष किया था। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी को 50 साल के लम्बे इंतजार के बाद वीपी सिंह की सरकार ने भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित किया था। उसके बाद दलित व उपेक्षितों के मसीहा कांशीरामजी का इनके हितों में किया गया संघर्ष कोई कम नहीं है। इसलिए उन्हें भी भारतरत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।