बनीक़ोडर बाराबंकी , जब मनुष्य अपने कर्मों को भूलकर आसुरी प्रवृत्तियों की राह पर निकल पड़ता है तो उसको सुधारने के लिए भगवान को स्वयं किसी न किसी रूप में अवतरित होना पड़ता है। त्रेता युग में भगवान राम वह द्वापर में भगवान श्री कृष्ण को भी इसी कारण अवतरित होना पड़ा।
उक्त बातें श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन पांडेय मार्केट कोटवा सड़क कोटवा धाम रोड सोहिलपुर में केशवराम पांडेय के निवास पर अयोध्या धाम आए दिवाकर वेदांश महाराज जी ने कही। उन्होंने कहा कि जब जब पृथ्वी पर अत्याचार बढा है और साधु संतों पर अत्याचार की हद पार हुई तो भगवान को किसी न किसी रूप में आना पड़ा है ।जब कंस अपने पिता पर अत्याचार कर उनके रहते हुए भी अपने को राजा मानकर प्रजा का पर अत्याचार करने लगा तो भगवान विष्णु को कृष्ण के रूप में अवतरित होना पड़ा। आगे कथा वाचक ने कहा कि देवकी वह वासुदेव दोनों प्रभु के भक्त थे लेकिन कंस अपने स्वार्थ में अपने बहन व बहनोई को जेल में बंद कर इन पर अत्याचार करने लगा। यहां तक की अपनी बहन की संतानों की हत्याएं करने पर उतारू हो गया। इसके बाद भी जब उसकी इच्छा नहीं भरी तो उसने भगवान श्री कृष्ण को भी मारने की साजिश रच डाली, आखिरकार उसके नाश के लिए भगवान श्री कृष्ण को आना पड़ा। इस अवसर पर दिग्विजय पांडेय सूर्यकांत द्विवेदी एडवोकेट ,डॉ रामप्र काश रावत राम सजीवन मिश्रा संतोष कुमार कौशल पिंटू कौशल महेश कौशल नन्हेंलाल दिलीप कुमार निगम आज तमाम भक्त मौजूद रहे।