गली-गली मौत बांट रहे इन मौत के सौदागरों की दुकानों पर कब और कौन करेगा कार्यवाही ?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी के क्यों हाथ कांप रहे हैं सिटी हेल्थ केयर सेंटर में कार्यवाही करने पर!?
बिना रजिस्ट्रेशन बिना फायर एनओसी बिना डिग्री के संचालित किया जा रहा है सिटी हेल्थ केयर सेंटर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर भारी पड़ रहा है जिला क्षय रोग फतेहपुर के क्षेत्राधिकारी क्योंकि इनी के संरक्षण में संचालित होता है सिटी हेल्थ केयर सेंटर!?
फ़तेहपुर। जनपद में स्वास्थ्य महकमा की उदासीनता के कारण जिला मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर दूर पक्के तालाब क्षेत्र में अवैध नर्सिंग होम और मौत बॉटने वाले अस्पतालों का मकड़जाल फैला हुआ है। ऐसे नर्सिंग होमो में मरीजों को सुविधाएं तो कम मिलती है पर शोषण अत्यधिक होता है। इन मौत की दुकानों में इलाज के नाम पर लूट मची हुई है। ऐसे अस्पतालों में जिन डाक्टरों की डिग्री लगाकर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है, वह डाक्टर कभी अस्पतालों में दिखाई तक नहीं देते हैं। जबकि इन अस्पतालों में बाहर बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में डॉक्टरों के नाम के साथ उनकी डिग्रियां लिखी रहती है। जिससे यहाँ मरीजों को भ्रमित कर उनके साथ धोखाधड़ी व लूट धड़ल्ले से मची हैं। इन अवैध अस्पताल संचालको द्वारा गांव-गांव दलालों से सेटिंग बनाकर मरीजों को कम पैसों में व बेहतर इलाज का लालच देकर ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले लोगों को बातों में फंसा कर अपने अस्पताल में भर्ती कराते और दलालों को बढ़िया कमीशन देते है। जब ये मरीज इनके जाल में फंसकर इनके अस्पतालों में पहुंच जाते हैं तो उनका शोषण शुरू हो जाता और इलाज के लिए एक-एक मरीजों से ये अवैध अस्पताल संचालक लाखों रुपए वसूल लेते हैं, जब इनके जाल में मरीज फंस जाता है तो बेचारा कहीं न कहीं से पैसे का इंतजाम कर इनकी मांग पूरी करता ही है। इस तरह ये दलाल इन मरीजों को सरकारी अस्पतालों के बजाय कमीशन के चक्कर मे इन फर्जी अस्पतालों पर पहुंचाते रहते हैं। इन अस्पतालों में बिना डिग्री धारक डाक्टर आपरेशन व इलाज कर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते है। हर साल दर्जनों बार इन अस्पतालों में आपरेशन के बाद मौतें हो चुकी हैं। मौतों के बाद कुछ हो हल्ला होता तो है, पर ये अस्पताल संचालक दलालों के माध्यम से मरीज के रिस्तेदारो को पैसे देकर उनका मुंह बंद कर देते हैं, जिससे ये बड़े आसानी से विभागीय कार्यवाही से बच निकलते हैं। इस तरह इनका यह मौत का कारोबार धड़ल्ले से संचालित होता रहता है और ये दिन-रात मौत बांटते रहते हैं। सीएमओ कार्यालय में मात्र ऐसे कुछ ही नर्सिंग होम और अस्पताल हैं जो पंजीकृत हैं। शेष नर्सिंग होम व अस्पताल अवैध रूप से बेखौफ संचालित हो रहे हैं। अवैध नर्सिंग होम के संचालन होने से जहां मरीजों व तीमारदारों का शोषण होता है, वहीं सूत्रों की माने तो विभागीय कुछ कर्मचारियों का भला भी होता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अवैध नर्सिंग होमो की जांच अभियान चलाने का दावा तो करते हैं, और छुटपुट कार्यवाही भी करते है, कहीं कहीं तो ये कार्यवाही कागजों तक ही सीमित होकर रह जाती है। विभाग के कुछ कर्मचारी ही दबी जुबान बताते हैं कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में इन अवैध अस्पताल संचालकों की अच्छी खासी पकड़ हैं, जिससे इनका कोई बाल बांका नहीं बिगाड़ पाता है, ये तगड़ी सांठगाठ रखते हैं। अब देखना यह हैं की बड़ी संख्या में मौत बाटने वाले इन संचालित अस्पतालों पर कोई कार्यवाही होती या ये यूँ ही धड़ल्ले से बेखौफ संचालित होते रहेंगे, और स्वास्थ्य प्रशासन हाथ पे हाथ धरे बैठा रहेगा। शहर ही नही पूरे जनपद में लोगों के बीच इस बात की खूब चर्चा बनी हुई है कि गली-गली मौत बांट रहे इन मौत के सौदागरों की दुकानों पर कब और कौन अंकुश लगाएगा!??