छिवलहा,16 नवम्बर , 1857 की क्रांति की नायिका ऊदा देवी पासी के बलिदान दिवस पर राजकीय माध्यमिक विद्यालय अकबरपुर चोराई के प्रधानाचार्य ने छात्र छात्राओं से कहा कि वीरांगना ऊदा देवी के बलिदान से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिये। विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा , ऊदा देवी पासी के बलिदान दिवस पर उन्हें नमन करते हुए शृद्धांजली अर्पित की गई। विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए श्री द्विवेदी जी ने बताया कि वीरांगना ऊदा देवी पासी ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए अवध में क्रांति का जो बिगुल फूंका, उससे अंग्रेजों की चूलें हिल गईं। युद्ध कौशल में पारंगत ऊदा देवी अंग्रेजों के से अवध को हर हाल में छुड़ाना चाहती थीं। यही वह मकसद था, जिसने उन्हें लोगों के करीब लाकर खड़ा कर दिया। शिक्षक आवास कुमार ने कहा कि वर्ष 1857 में स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बज चुका था। सभी के अंदर अंग्रेजों के प्रति आक्रोश व्याप्त था। जाति-संप्रदाय से ऊपर उठकर सभी का बस एक ही मकसद था कि अंग्रेजों को देश से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। एक ओर जहां रेजीडेंसी और दिलकुशा में अंग्रेजों ने कब्जा कर रखा था, तो दूसरी ओर बेखौफ क्रांतिकारी अंग्रेजों के मंसूबों को फेल करने में लग रहे। बेगम हजरत महल ने अंग्रेजों के खिलाफ खुद सेना की कमान अपने हाथ में ले ली थी। अंग्रेजों के सेनापति हर ओर क्रांतिकारियों के मंसूबों को फेल कर कब्जा करने में लगे थे तो दूसरी ओर चिनहट की ओर से सिकंदरबाग की ओर बढ़ रही अंग्रेजी सेना को रोकने की जिम्मेदारी स्वयं ऊदा देवी ने ले ली। मनीष सिंह जी ने क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान के बारे में जानकारी दी। अवध जी एवं राजेश मौर्य ने भी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि इन अमर बलिदानियों से हमें प्रेरणा लेते हुए हमेशा देश प्रेम एवं देश सेवा के लिए तैयार रहना चाहिए।