- बारिश का पानी भरने से दलदल में तब्दील हुई गो आश्रय गोशाला।
- व्यवस्था के नाम पर लाखों डकार गए अधिकारी और प्रधान।
- पूर्व में हुई जांच में निवर्तमान बीडीओ ने रोका था प्रधान का वेतन।
असोथर/थरियांव फतेहपुर- सूबे की योगी सरकार गोवंशो की देखरेख के लिए भले ही अधिकारियों के पेंच कस रही हो।लेकिन फतेहपुर जनपद में हसवा ब्लॉक के रामपुर थरियांव स्थित गौ आश्रय गोशाला में व्याप्त अव्यवस्था में सुधार होता नजर नही आता है।गोशाला में अवमुक्त होने वाले सरकारी धन का संबंधित अधिकारी और प्रधान बंटरबांट करने में लगे हुए हैं।भरपेट चारा न मिलने से भूंख से गोवंश मर रहें हैं।अब तक सैकड़ों मृत गोवांशों को जेसीबी से गोशाला में ही दफन कर दिया गया है।गोशाला में मर रहे गोवंश की खबर को दैनिक अखबारों और मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन और शासन का ध्यान गोशाला की तरफ लाया गया।पूर्व में हुई जांच के दौरान बीडीओ और प्रधान पति के बीच झड़प भी हुई थी।जिसमें बीडीओ ने प्रधान के सभी खातों पर लेनदेन पर पाबंद लगा दिया था।कार्रवाई के भय से कुछ दिन तक व्यवस्था सही चलती रही लेकिन बेखौफ प्रधान पति के मनमानी रवैए में बदलाव नहीं हुआ।बीते कुछ माह पहले निवर्तमान डीएम अपूर्वा दुबे द्वारा पंचायत सचिव पर कार्रवाई की गई थी और व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए गए थे।उसके बावत भी लचर व्यवस्था में सुधार नही हो सका।शनिवार को एक गोवंश के मरने और कई गोवंश के मरणासन्न अवस्था में मिलने की सूचना पर एक हिंदी दैनिक के पत्रकार खबर कवरेज करने गए तो मन बढ़े मजदूर पत्रकार से ही अभद्रता करने लगे।पशु चिकित्सक के मुताबिक गोशाला में वर्तमान में 261 गोवंश हैं।मामले पर हसवा खंड विकास अधिकारी बीरेंद्र वर्मा से बात की गई तो वह भड़क उठे और गोलमोल जवाब देकर टाल दिया।गोवंश के मरने का कारण और नेपियर घास की जानकारी पूछने पर फोन काट दिया।पशु चिकित्साधिकारी डॉ अंशू पांडे ने बताया कि गोशाला में गोवंश का उपचार प्रतिदिन किया जा रहा है।इलाज के अभाव में किसी गोवंश की मौत नही हुई है।वही जिले से मुख्य विकास अधिकारी सत्यप्रकाश का कहना रहा कि गोवंश का मरना गंभीर विषय है।इस पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।अब देखना यह होगा जनपद के आला अधिकारी गैर जिम्मेदार और लापरवाह अधिकारी और प्रधान के खिलाफ सख्ती से पेश आकर कार्रवाई करते हैं या क्लीनचिट देकर उन्हें अभय दान दे दिया जाएगा।