फतेहपुर। विजयीपुर विकासखंड क्षेत्र के अधिकतर ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से बने जल संरक्षण अमृत सरोवरों से धूल गब्बर उड़ रही है। आलम यह है कि कुछ पंचायतों के अमृत सरोवरों का निर्माण कायाकल्प तो करा दिया गया था। लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण अमृत सरोवर नाम मात्र के रह चुके हैं। अधिकतर ग्राम पंचायतों के अमृत सरोवर बंजर भूमि की तरह खाली पड़े हुए हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अमृत सरोवर योजना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जिले में प्रत्येक पंचायतों में एक अमृत सरोवर का निर्माण कार्य मनरेगा निधि से होना सुनिश्चित हुआ था। कई पंचायतों में अमृत सरोवरों का निर्माण तो हो चुका है लेकिन वर्षों से खंडहर बंजर जैसे पड़े हैं।
भीषण गर्मी में पशु पक्षी पानी के लिए भटक रहे हैं। गर्मी के दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट से निपटने और भू-जल स्तर को बनाए रखने के सरकार ने अमृत सरोवर योजना की शुरूआत की गई थी।इस योजना के तहत जिले के पंचायतो पर अमृत सरोवर तालाब भी बन गए, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट की आहट होने लगी है।लाखों की लागत से बने अमृत सरोवर में एक बूंद पानी नहीं है। इन तालाबों से धूल उड़ रही है, न तो ये सरोवर क्षेत्र का जल स्तर बढ़ाने में कामयाब हुए और न ही जल संग्रहण के काम आ सके।
महत्वपूर्ण बात यह है कि जिले में इस योजना के तहत बनाए गए अमृत सरोवरों पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च हो गई है, अधिकांश सरोवर पूर्ण हो भी चुके हैं । लेकिन तालाब सूखे पड़े हुए हैं। यदि इन तालाब अमृतसरोवरो में पानी होता तो गर्मी के दिनों में पशु पक्षियों को राहत मिल पाती। लेकिन जिले में योजना मूल उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकी।
पंचायतों की इस समस्या को देखते हुए खंड विकास अधिकारी प्रभाकर त्रिपाठी से वार्ता परामर्श करने पर उन्होंने बताया कि जिन पंचायत में बने अमृत सरोवरों तालाबों के आसपास राजकीय नलकूप है। वहां के प्रधानों और सचिवों से बैठक कर सरोवरों में जल संचय उपरोक्त व्यवस्थाओं को संबंधितों को निर्देशित किया जाएगा।