✍️ पवन कुमार श्रीमाली✍️

संविधान रक्षक समाचार सेवा

करवा चौथ त्याग और समपर्ण का व्रत है। इस व्रत में महिलाएं निर्जल व्रत रखकर पति औऱ परिवार की मंगल कामना के लिए देवी करवा और शिव परिवार की पूजा करती हैं और चांद के दर्शन के बाद ही जल और अन्न ग्रहण करती हैं। इस व्रत के तमाम पहलुओं को देखने के बाद आप भी कहेंगे कि, करवा चौथ प्रेम, तपस्या और समर्पण की पराकाष्ठा का पर्व है।
करवा चौथ भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे देशभर में और विदेशों में भी जहां भारतीय परिवार रहते हैं, बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सधवा महिलाओं (विवाहित महिलाओं) द्वारा अपने पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और मंगल की कामना के लिए रखा जाता है। करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, और इस दिन का विशेष महत्व यह है कि महिलाएं निर्जला (बिना पानी पिए) व्रत रखती हैं रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
करवा चौथ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है । इस व्रत में महिलाएं श्री गणेश जी की पूजा करती हैं, जो मंगल और सिद्धि के देवता माने जाते हैं। गणेश जी की पूजा करने से उनके पति के जीवन में सभी बाधाओं का नाश होता है और समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि चंद्रमा को शीतलता, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से पति-पत्नी के जीवन में चंद्रमा जैसी शीतलता और संतुलन की प्राप्ति होती है।

करवा चौथ: प्रकृति पूजा का संदेश
करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक व्रत नहीं है, बल्कि यह प्रकृति पूजा का भी प्रतीक है। चंद्रमा, जल, और प्रकृति के अन्य तत्वों का इसमें प्रमुख स्थान है। करवा चौथ यह संदेश देता है कि पति-पत्नी के जीवन में समृद्धि और शांति तब ही संभव है जब वे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखें। इस व्रत के दौरान महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि जीवन में शांति और समृद्धि के लिए प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति के तत्वों जल, क्षित, पावक, गगन और समीर को सम्मान देना और उनके साथ संतुलन बनाए रखना जीवन के लिए अनिवार्य है।
करवा चौथ का समाज में महत्व
करवा चौथ का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारतीय समाज में पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत करता है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति के प्रति अपनी निष्ठा, प्रेम और समर्पण को प्रदर्शित करती हैं। यह प्रेम और समर्पण किसी भी दांपत्य जीवन के लिए आवश्यक आधारभूत तत्व हैं। करवा चौथ के व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति के साथ अपने रिश्ते को और अधिक प्रगाढ़ करती हैं। यह एक ऐसा अवसर है, जब पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम, निष्ठा और आदर को फिर से जीवित करते हैं ।

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