संविधान रक्षक जिला संवाददाता उमेश तिवारी
जहा पर माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर मुख्य अतिथि प्रदीप जैन,समित के सदस्य रानू शर्मा के दवारा दीप प्रज्वलन कर माँ शारदे की वंदना के बाद सभी कवियों का समिति के सदस्यों व व्यापार मंडल के सदस्यों रविनान खजांची ,मनीष निगम , के द्वारा सभी कवियों को अंग वस्त्र दे कर समान्नित किया गया कवि सम्मलेन का कार्यक्रम शुरू किया गया
दुर्गा पूजा के आमंत्रण पर आये विभिन्न कवियों ने अपना काव्य पाठ किया कार्यक्रम का सञ्चालन विनय शुक्ला ने किया जहा पर सूरज पंडित ने अपने काव्य पाठ में सम्बन्धो को पार नहीं कर पाए है ,अपनों संग व्यापार नहीं कर पाए है ,देवालय सा जब से तुमको पूजा है ,और किसी से प्यार नहीं कर पाए।
दिव्यांशु अवस्थी ने बदलो की सदा बिजलियों ने कही ,रत भर की व्यथा सिसकियों ने कही ,दिल की परतो में जो कुछ छुपाते गए ,उम्र भर वो कथा हिचकियो ने कहा। रवि चतुर्वेदी ने न्याय न दे जो विधि होने का क्या मतलब , सुख न दे जो निधि होने का क्या मतलब। पंकज पंडित ने फूल हो गुलाब का तो सींचता सेव् रात,पेड़ हो बाबुल का तो छटना जरुरी है। दीपक दनादन हसी चेहरे पे आ जाये कही के पल नहीं मिलता ,अपाहिज हुयी है आशाये कोई सम्बल नहीं मिलता। धर्मराज कवि शायर नवम्बर जस मजा जनवरी में पाइहौ,गद्दा जास मजा दरी माँ न पाइहौ,ठासके पिस्टल बुलेट से चलिहो,दरोगा जस मजा मास्टरी माँ न पाइह। संचालक विनय शुक्ला ने जो चाह रहे हो की समाज को कवि का दर्पण दिखे नहीं ,बस चरण वंदना कोई विरोद में लिखे नहीं कवि। ये कवि समेल्लन देर रात तक चला कार्यक्रम के समापन पार समिति के लोगो ने आये हुए सभा श्रोताओ का धन्यवाद दिया
कल बच्चो के लिए डांस ,मेहँदी और फैशन शो का कार्यक्रम का आयोजन होगा