फतेहपुर..विजयीपुर विकास खंड _ क्षेत्र के अंतर्गत गोदौरा गांव में भागवत कथा का 23 मार्च से आयोजित हो रहा है। वही आज चौथे दिन दिन धनुष भंग व लक्ष्मण परशुराम संवाद हुआ। इसे देख दर्शकों ने जमकर आनंद लिया और भगवान के जयकारे लगाएं गए।
वही आज कथा व्यास आचार्य श्री देव शरण जी महाराज व कुंवारी भक्ति त्रिपाठी ने मंचन के दौरान राजा जनक के सीता स्वयंवर के लिए रखा गया शिव धनुष को दूर-दूर से आए राजा उसे जब तिल भर भी न उठा सके तो राजा जनक जी सीता जी के विवाह की चिता में विलाप करने लगे। उसी दौरान गुरु की आज्ञा पाकर पहुंचे भगवान श्रीरामचंद्र ने उस धनुष को हाथ में पकड़ते ही दो टुकड़े कर दिए! और सीता जी ने श्रीराम के गले में वरमाला पहनाई। पंडाल श्रीराम भगवान के जयकारों से गूंज उठा। उधर, उसी दौरान विचरण कर रहे खबर सुन महर्षि मुनि भगवान परशुराम जी आते ही टूटा शिव धनुष देख क्रोधित हो गए। बोले शिव जी का धनुष किसने तोड़ा है धनुष तोड़ने वाला मेरा सबसे बड़ा शत्रु है! विनम्रता भरे शब्दों मे तभी भगवान प्रभु श्रीरामचंद्र ने मुनि परशुराम जी से कहा चौपाई. नाथ शंभूधनि भंज निहारा होइई कहु एक दास तुम्हारा। हे नाथ शिव धनुष तोड़ने वाला कोई और नहीं आपका ही दास होगा! , लेकिन मुनि परशुराम जी का क्रोध शांत होने के बजाए और बढ़ गया। तभी लक्ष्मण जी ने मुनि परशुराम के क्रोध को समझाने के बाद और बढ़ते देख कह उन्होंने कह दिया कि मुनि महर्षि होकर के भी क्रोध करते हो परशुराम जी ने फरसा उठाकर लक्ष्मण को मारने का प्रयास किया !तभी प्रभु श्रीराम की सच्चाई जानकर क्षमा याचना की और वापस लौट गए। इस मौके पर आयोजक समिति प्रधान प्रतिनिधि शिवपत सिंह, धर्मेंद्र सिंह, दिलीप सिंह, सत्यनारायण सिंह,मनोज कुमार शर्मा, आदि लोग मौजूद रहे!!