…तो क्या लोकसभा का चुनाव ईवीएम से कराना सरकार के लिए बनेगा चुनौती…!

👉 सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं ने ईवीएम के विरोध में निकाला मार्च, पुलिस ने रोका

👉 ईवीएम को हैंक करने का दावा करने वाली टीम चुनाव आयोग से मांग रही 50-50 मशीने

👉 ईवीएम के विरोध में गांव स्तर पर भी गठित की जाएगी टीम, मकर संक्रांति के बाद आंदोलन होगा तेज..?

*👉 वैसे तो ईवीएम का मुद्दा वर्ष 2004 से लगातार चुनावो के नजदीक आते ही गरमानें लगता है, कभी सत्ता से दूर भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन मुखिया लालकृष्ण आडवाणी ने भी ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की चुनाव आयोग से मांग भी कर डाली थी..! ऐसा ही हाल वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और ईवीएम हटाओ, देश बचाओ को लेकर पूरे देश में माहौल बनाने का प्रयास किया गया था, किन्तु समय का चक्र पलटा और वर्ष 2014 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के चलते एवं यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार से आजिज जनता ने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत प्रदान की और पहली बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने…! उसके बाद प्रधानमंत्री ने जीएसटी, नोटबंदी, जम्मू कश्मीर से धारा 370, 35 ए हटाने का कठोर निर्णय, तीन तलाक कानून बनाने का काम किया जिसका असर पूरे देश में देखने को मिला और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दिन- प्रतिदिन बढ़ती गई! इसके बाद ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि भारतीय जनता पार्टी एक के बाद एक विधानसभा चुनाव जीतने लगी और नौबत यहां तक आ गई की धीरे-धीरे विपक्ष का सूपड़ा साफ होने लगा..! इतना ही नहीं 138 वर्ष पुरानी कांग्रेस भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथ-पैर मारने लगी और समय-समय पर क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर अपना वजूद बचाने के लिए आज भी संघर्ष कर रही है..! *अगर केवल उत्तर प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करीब साढे तीन दशक से हार का मुंह देखना पड़ा है और अब तो नौबत यह आ गई है कि अगर रायबरेली जिले को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस का पूरे उत्तर प्रदेश में कोई जन आधार नहीं बचा है…! हालांकि उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी को माना जाता है और कभी दलित-ब्राह्मण वोटो के सहारे प्रचंड बहुमत से प्रदेश की सत्ता में काबिज होने वाली बहुजन समाज पार्टी भी आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है..!* कुल मिलाकर एक के बाद एक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते जन आधार एवं विपक्षी पार्टियों के गिरते ग्राफ की वजह से एक विशेष बुद्धजीवी वर्ग का ऐसा मानना है कि कहीं ना कहीं चुनाव आयोग द्वारा जो भी चुनाव संपन्न कराए जा रहे हैं उनमें निष्पक्षता नहीं है और विपक्षी दलों को चुनाव हरवाने में कहीं ना कहीं चुनाव आयोग का बड़ा हाथ है…! इन सबके बीच ईवीएम का विरोध करने वाला धड़ा यह मानता है कि कहीं ना कहीं विपक्षी दलों की हार के पीछे ईवीएम का बड़ा खेल जरूर शामिल है..! जिसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट के कुछ अधिवक्ताओं ने चुनाव आयोग से चुनाव संपन्न कराए जाने में उपयोग की जाने वाली ईवीएम, वीवीपैट व इलेक्ट्रोल की 50-50 मशीन मांगी है, जिससे यह साबित किया जा सके की ईवीएम को भी हैक किया जा सकता है..! इसी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं ने दिल्ली पटियाला हाउस गेट नम्बर-4 से पैदल मार्च निकालकर चुनाव आयोग पहुंचने का प्रयास किया, किन्तु दिल्ली पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया, जिसके बाद ईवीएम का विरोध कर रहे लोगों ने ईवीएम हटाओ देश बचाओ आंदोलन को और तेज करने का ऐलान करते हुए अब देश स्तर से लेकर प्रदेश, जिला एवं गांव स्तर पर टीम गठित करने के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है….!ईवीएम का विरोध करने वाले वक्ताओ ने कहा की लोकसभा 2024 का चुनाव ईवीएम से न कराया जाए इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है और मकर संक्रांति के बाद आंदोलन को तेज किया जाएगा। किसी भी सूरत में ईवीएम से चुनाव न संपन्न कराया जाए इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है जिसके लिए गांव स्तर पर भी टीम गठित की जाएगी। वक्ताओं ने चुनाव आयोग के अलावा सुप्रीम कोर्ट और सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं…!
विरोध के दौरान शामिल लोगों ने यह भी कहा कि ईवीएम हटाओ मुहिम को कोई भी नेशनल न्यूज़ चैनल कवर नहीं कर रहा है जो देश के लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है…! हालांकि वक्ताओं ने सोशल मीडिया के जरिए उनकी बात उठाने वाले मीडिया समूह के लोगों को वास्तविक मीडिया की संज्ञा देते हुए आभार भी जताया हैं…!

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