▪️गढ़ा खास के गढ़बीर बाबा मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन

रविवार को कथा व्यास आचार्य देव शरण त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निस्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। कथा व्यास ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत बताता है कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है। सृष्टि वर्णन की कथा सुनाते हुए आचार्य ने बताया हरि विष्णु की नाभि से कमल के फूल पर बैठे ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई और भगवान श्री हरि विष्णु के आदेश के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। उन्होंने मनु और सतरूपा की उत्पत्ति की। मनु और सतरूपा से पांच संतानें दो पुत्र और तीन कन्या हुईं। इसके बाद कहा कि एक दैत्य पृथ्वी को पातालपुरी ले गया और पृथ्वी को वापस लाने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु ने वराह अवतार लिया। इसी तरह बालक ध्रुव की कथा भी व्यास ने सुनाई। कथा में बिहारी जी के भजनों का सुंदर गुणगान हुआ। कथा कार्यक्रम में हजारों की संख्या में गढ़ा खास वा आस पास के लोगो के साथ ही , रवि तिवारी , नेहा तिवारी,मनोरमा तिवारी,संजय तिवारी ज्वाला गुप्ता, राममूरत शर्मा समेत आयोजन करता मौजूद रहे

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