लक्ष्मण परशुराम संवाद देखकर भक्त मंत्र मुग्ध हुए

     फतेहपुर, शहर क्षेत्र के रामनगर कॉलोनी माधव उपदेश रथद्वार कालिकन मंदिर के समीप  लगातार तीसरे वर्ष धनुष यज्ञ की लीला का मंचन किया गया । और रामलीला कमेटी द्वारा जनपद और गैर जनपद से आए हुए कलाकारों द्वारा का धनुष यज्ञ की लीला का मंचन कराया गया। 

शनिवार देर शाम भगवान की आरती के बाद लीला की शुरुआत किया गया । गैर जनपद से पधारे हुए बालकों की जोड़ी जैसे ही भगवान राम और लक्ष्मण के वेष में मंच पर आते हैं। पूरे माधव उपदेश रथ द्वार परिसर में राम के जयकारे लगने लगते हैं। फिर गुरु की आज्ञा के अनुसार संध्या वंदन करते हैं। उधर जनकपुरी में सीता स्वयंवर की सभी तैयारियां पूरी किया गया।और दूर-दूर के राजाओं महाराजाओं को सीता स्वयंवर का निमंत्रण भेजा जाता है । सीता स्वयंवर का निमंत्रण मिलने के बाद अपने गुरु के साथ भगवान राम और लक्ष्मण भी जनकपुरी पहुंचते हैं। उधर पेटू राजा को भी स्वयंवर का निमंत्रण मिलता है। पेटू राजा की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है । और पेटू राजा के मंचन से सभी दर्शन हंसते हुए लोटपोट होते हैं ।

वही लंका नरेश रावण को स्वयंवर का निमंत्रण नहीं मिलता इसके बाद भी रावण स्वयंवर में जाते हैं। वही जनकपुरी में रावण और बाणासुर का संवाद होता है। जिसे सभी दर्शन ध्यानपूर्वक सुनते हैं और भक्तों को वीर रस की प्राप्ति होती है । वही एक-एक करके सभी राजा महाराजा जनकपुर में धनुष को उठाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कोई भी उसे हिला तक नहीं पता है । यहां तक की सैकड़ों राजा महाराजा एक साथ मिलकर धनुष उठाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सभी असफल रहते हैं। तभी राजा जनक अधिक भावुक हो जाते हैं। और कहते हैं कि पृथ्वी पर कोई भी ऐसा वीर पुरुष नहीं बचा है। जो स्वयंवर की शर्त को पूरा कर सके राजा जनक की बात सुनकर लक्ष्मण को क्रोध आता है। और वह कहते हैं कि अगर गुरु और बड़े भाई की आज्ञा मिल जाए । तो धनुष क्या पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह फेंक सकते हैं । तभी गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम और लक्ष्मण की जो बड़ी जोड़ी होती है। आगे आकर भगवान राम धनुष को उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाते हैं धनुष दो भाग में टूट जाता है सीता भगवान राम को जयमाला पहनती है । और राम सीता के जयकारे लगाते हैं और दर्शक राम सीता की आरती उतारते हैं।उधर पर्वत में तपस्या कर रहे परशुराम की भूमिका में आचार्य पंडित गोपाल शुक्ल धनुष के टूटते ही व्याकुल हो जाते हैं। और वायु के वेग से जनकपुरी पहुंचते हैं। राजा जनक उनकी अगवानी करते हैं। लेकिन परशुराम क्रोध सातवें आसमान में रहते हैं वह धनुष को तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं । लेकिन डर की वजह से कोई कुछ भी नहीं बताता है। परशुराम कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग कर दो नहीं तो सभी राजा एक साथ मारे जाएंगे । परशुराम की बात सुनकर लक्ष्मण की भूमिका में मोनू त्रिपाठी उनसे संवाद करने लगते हैं । और देखते ही देखते लक्ष्मण और परशुराम संवाद रविवार तक चलता है। जिसे दर्शक ध्यानपूर्वक सुनते हैं। वही भगवान राम आगे आकर परशुराम से लक्ष्मण की बातों के लिए क्षमा मांगते हैं । राम की बातों बातों में परशुराम पहचान जाते हैं । कि भगवान राम विष्णु का अवतार है । और वह स्वयं भगवान राम से क्षमा मांगते हैं और भगवान राम सीता और लक्ष्मण की जयकारे के साथ लीला समाप्त होती है।
लीला के दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष कल्लू यादव ,पदाधिकारी अवनीश सिंह भदोरिया, हरिशंकर उर्फ लाला ,मोनू सिंह चौहान ,विकास शुक्ला ,राकेश कश्यप ,बालकिशन, रवि किशन सहित सभी पदाधिकारी और सदस्य तथा सैकड़ो की संख्या में दर्शक मौजूद थे सभी राम लक्ष्मण और परशुराम से आशीर्वाद भी लेते हैं।

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