जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे दबंगो को मना करना गरीब परिवार को पड़ा भारी
👉 लाठी-डंडों व कुल्हाड़ी से प्रहार कर आधा दर्जन लोगों को किया मरणासन्न
👉 दबंगों ने महिलाओं बच्चों को भी नहीं बक्शा, एक महिला की अंगुली हुई बुरी तरह जख्मी
👉 गाज़ीपुर पुलिस ने घायलो को जिला अस्पताल में भर्ती कराना भी नहीं समझा मुनासिब
👉 शहर के एक निजी नर्सिंग होम में पीड़ित परिवार करा रहा उपचार
विकास त्रिवेदी राहुल
👉 फतेहपुर। पुलिस अधीक्षक उदय शंकर सिंह के सख्त निर्देशों के बावजूद भी जिले की गाजीपुर थाना पुलिस अपनी हरकतों में सुधार लाने को तनिक भी गंभीर नजर नहीं आती है, जबकि अभी बीते दिन ही पुलिस अधीक्षक ने दो दरोगा समेत कई पुलिस कर्मचारियों पर लापरवाही करने पर पुलिस लाइन भेजने की कार्रवाई की है। गाज़ीपुर थाने की पुलिस अपने दायित्व के प्रति कितनी लापरवाह है इसका जीता जागता उदाहरण आज उस समय प्रकाश में आया जब जमीनी विवाद को लेकर दबंगों ने एक परिवार पर ऐसा कहर बरपाया कि उसका शिकार सिर्फ पुरुष ही नहीं हुए बल्कि महिलाये बच्चे भी बनाये गए। ताजा मामला शाखा गांव का बताया जाता है जहाँ ज़मीन पर जबरन कब्जा कर रहे वीरेंद्र यादव पुत्र सूरज यादव, मनीष यादव पुत्र वीरेंद्र यादव, समरजीत, श्यामजीत पुत्र अर्जुन यादव को शाखा गांव की ही निवासी सुमन देवी पत्नी धर्मेंद्र यादव ने मना किया था। इसी बात से गुस्साए दबंगों ने लाठी-डंडा व कुल्हाड़ी से उनके परिवार पर हमला कर दिया जिसकी चपेट में केवल सुमन व धर्मेंद्र ही नहीं आए, बल्कि उनके घर की अन्य महिलाएं एवं बच्चों को भी दबंगों ने अपना शिकार बना डाला। अब सवाल यह उठता है कि जब देवरिया जैसी विभत्स घटना प्रदेश के देवरिया जनपद में घट चुकी है तो ऐसे मामले पर पुलिस का गंभीर न होना बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है…! पीड़ित परिवार ने बताया कि यह विवाद करीब दो माह से चला रहा है और इसी मामले को लेकर कई बार गाज़ीपुर पुलिस से न्याय की गुहार लगाई गई, किंतु पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई जिसकी वजह से आज उन लोगों के ऊपर दबंगों ने प्राण घातक हमला कर दिया। पीड़ित ने बताया कि घटना के बाद वह लोग गाजीपुर थाना पहुंचे जहां पर पुलिस ने उन लोगों का इलाज कराना तक मुनासिब नहीं समझा, जिसकी वजह से उन्हें प्राइवेट नर्सिंग होम की शरण में जाना पड़ा है। पीड़ित ने बताया कि पुलिस ने उन्हें कल शुक्रवार को मेडिकल परीक्षण कराने के लिए बुलाया है, किंतु परिवार के कई सदस्यों की हालत अत्यंत चिंताजनक है जिसकी वजह से वह उन्हें प्राइवेट नर्सिंग होम में उपचार कराने के लिए मजबूर है।