देश के प्रधान मंत्री, प्रदेश के मुखिया व स्वास्थ्य मंत्री लोगो के स्वास्थ को लेकर गम्भीर है। जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी, पीएचसी में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बराबर प्रयास रत है। उसी कड़ी को और आगे बढ़ते हुए आज जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर की एमरजेंसी सेवाओ का निरक्षण करने पहुंचे प्रदेश स्तरीय WHO टीम के नोडल अधिकारी ने स्वास्थ कर्मियों के साथ बैठक कर उनकी बात सुनी उसके बाद बड़ी गहनता और बारीकी के साथ सभी जगह का निरक्षण कर जानकारी हासिल किया।

फतेहपुर। जिले के मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में एमरजेंसी सेवाओ का निरक्षण करने आज बुधवार की प्रदेश स्तरीय नामित नोडल अधिकारी डॉक्टर एल० डी० मिश्रा और डॉक्टर अर्पित श्रीवास्तव पहुंचे तो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल डॉक्टर आर० पी० सिंह, पुरुष जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर पी० के० सिंह व महिला जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर रेखा रानी की मौजूदगी में स्वास्थ कर्मियों के साथ बैठक कर उनसे बात किया। उसके बाद वार्ड में जाकर बारीकी से सब कुछ देखा उसके बाद अल्ट्रासाउंड और एक्सरे कक्ष में जाकर वहां की ब्यवस्था को जाँचा परखा। उसके बाद पैथोलॉजी और ब्लड बैंक की गहनता से जांचपड़ताल किया। वहाँ से निकल कर सीटीस्कैन रूम में जाकर प्रति दिन कितनी जांचे होती है उनकी स्थित बारे में जानकारी किया जाँच किस समय से किस समय तक होती है इसकी जानकारी किया। आगे पूंछा की आपातकालीन कोई केश आने पर क्या ब्यवस्था है तो जिम्मेदारों ने बताया हम आन कॉल रहते है आन कॉल आकर जाँच करते है। सी टी स्कैन के लिए आन कॉल का नम्बर बाहर दिवारो पर चस्पा करने को कहकर ट्रामा सेंटर पहुंचे वही भी बड़ी बारीकी के साथ निरक्षण किया।

वही जब मीडिया ने बात की तो प्रदेश स्तरीय नोडल अधिकारी डॉक्टर एल० डी० मिश्रा ने बताया सरकार की मनसा है कि लोगो बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिले इसके लिए एमरजेंसी सेवा को और बेहतर कैसे बनाया जाए इसी की जाँच करना हमारा उद्देश्य था। हम देखने आये है कि मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में कितनी एमरजेंसी सेवाएं है। आई सी यू है कि नही है कितना सुधार प्रिंसपल साहब अपने हिसाब से कर रहे है। और क्या ज़रूरत है देश प्रदेश में बहुत सारे मेडिकल कॉलेज खुल गए है। अभी सभी जगह एमरजेंसी सेवाएं नही है तमाम सारे मरीज़ रेफर होकर कानपुर या लखनऊ चले जाते है। जैसे हमने देखा यहां ट्रामा सेंटर में ओटी नही है जिसके लिए मरीज़ को ऑप्रेशन के लिए दो दो दिन इंतेज़ार करना पड़ता है जबकि यह ब्यवस्था यही होनी चाहिए जिससे मरीज़ का तुरन्त ऑप्रेशन हो सके।

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