शासन की ओर से विकास कार्यों को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से मनरेगा कार्यों का सोशल ऑडिट ग्रामीण और नामित अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है।लेकिन विकासखंड रामनगर में ठीक इसके विपरीत सोशल ऑडिट का कार्य घर बैठे मनमाने तरीके से सुविधा के अनुसार किया जा रहा है। कागजी खानापूर्ति के नाम पर चहेते लोगों के साथ फ़ोटो खिंचवाकर कागजी कोरम पूर्ण हो रहा है।प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते बृहस्पतिवार को विकासखंड रामनगर के ग्राम पंचायत पारा में मनरेगा कार्यों का सोशल ऑडिट प्रस्तावित था। इसके संबंध में जब ब्लाक कोर्डिनेटर सुमन वर्मा से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया ग्राम पंचायत में जल भराव की स्तिथि होने के कारण सोशल ऑडिट नहीं किया गया है।सोशल आडिट टीम के बारे में जानकारी देने से इनकार किया जबकि सुमन वर्मा की सोशल ऑडिट के लिए दूसरे ब्लाक में तैनाती बताई जाती है।शोषल ऑडिट के लिए ग्रामपंचायतों में ना जाकर कागजी खानापूर्ति करके विकासखंड रामनगर के ग्राम पंचायतों में नियुक्त शोषल ऑडिटर से मिलकर शोषल ऑडिट के नाम पर ग्राम प्रधानों का शोषण करवाया जा रहा है नाम ना छापने की शर्त पर कई ग्राम प्रधानों ने बताया कि ब्लाक कोर्डिनेटर सुमन वर्मा के द्वारा, विकासखंड रामनगर में तैनात सोशल आडिटरों से मिलकर प्रधानों पर दबाव बनाया जा रहा है।इससे पूर्व भी ग्राम पंचायत भरसवां के ग्राम प्रधान द्वारा इन्ही सोशल ऑडीटर सुमन वर्मा पर सोशल ऑडिट के नाम पर धन उगाही का आरोप लगाया गया था।जो विषय कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुआ था।पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा।लेकिन हरफन में माहिर सुमन वर्मा की ऊंची पहुंच के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई थी जिसके चलते उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं हुआ।

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