भाजपा सरकार में किसानों की आय दोगुनी करने के हांके जा रहे बड़े-बड़े दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं असोथर क्षेत्र में तो सब कुछ उल्टा ही देखने को मिल रहा है किसानों की हार तोड़ मेहनत से तैयार की गई उपज पानी में सड गई महीनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसान टोकन और सत्यापन के चक्कर में बर्बाद हो गये।

विपणन शाखा द्वारा मंडी समिति असोथर में संचालित धान क्रय केंद्र में किसानों द्वारा तौल के लिए धान डाला गया था कुछ किसानों का धान तो तौल गया लगभग 65 काश्तकारों का धान खुले आसमान के नीचे मंडी में पड़ा है 4 दिन की झमाझम बारिश से
50 फ़ीसदी धान खराब हो गया धान की तौल न होने के पीछे असोथर के मूलचंद कमल बताते हैं कि धान डालने के पहले सत्यापन की पुरजोर कोशिश की गई थी लेकिन सत्यापन नहीं हुआ और जब सत्यापन हो गया तो सरकार ने ऑनलाइन टोकन व्यवस्था लागू कर दिया खरीद के मध्य में लागू की गई नई व्यवस्था से 20 दिन पीछे चला गया तौल का नंबर इस वजह 2 माह से मंडी में धान पड़ा है सरकार की एमएसपी का लाभ लेना तो दूर अपनी हाड़ तोड़ मेहनत से तैयार की गई उपज का औने-पौने दाम भी मिलना कठिन हो गया है
असोथर के कृषक केशन का कहना है कि मंडी में धान डाल कर पछतावा हो रहा है अगर 15 ,सौ रुपए कुंतल की दर में घर से धान बेच लिए होते तो ज्यादा अच्छा रहता एमएसपी के चक्कर में परेशान हो गए

केंद्र प्रभारी का कहना है कि जैसे ही मौसम साफ होता है सूखे धान की तौल शुरू कर दी जाएगी ।

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