असोथर फतेहपुर आपने पुलिस के साख पर बट्टा लगाती कहानियां तो बहुत पढ़ी और सुनी होंगी। लेकिन फतेहपुर जिले में एक ऐसे भी दारोगा हैं जो मित्र पुलिस की छवि को चमका रहे हैं। यदि ऐसे ही पुलिस वाले हो जाएँ तो फिर क्या है कोई पीड़ित निराश जाए ही न और पुलिस के खिलाफ होने वाली शिकायतें अपने आप खत्म हो जाएँ। दरअसल दारोगा रमेश मौर्या के पास पीड़ित नही पहुंचते बल्कि वो खुद उनके पास पहुंच कर उनकी समस्या को सुनते हैं। दारोगा का यह बड़ा प्रयास अन्य पुलिसकर्मियों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
रमेश मौर्या जनपद के थरियांव सर्किल स्थित असोथर थाने में तैनात हैं। अपने स्वाभाव और पीड़ितों को विशेष सम्मान देने के कारण रमेश मौर्या लोगों के बीच लोकप्रिय भी हैं। थाने में रहकर ऐसा व्यवहार उन्हें दूसरे पुलिसकर्मियों से हट कर दिखाता हैं। वैसे तो असोथर थाने में स्टॉफ लगभग ठीक ठाक ही है लेकिन दारोगा रमेश मौर्या की बात कुछ हट कर है। वह सुबह नौ बजे के पहले ही अपना रूटीन कार्य निपटा कर थाने में आये पीड़ितों से मिलना शुरू कर देते हैं। यह लगातार जारी भी रहता है।
दरअसल थाना समाधान दिवस होना था, लेकिन इसके लिए अभी समय भी बचा था। तभी रमेश मौर्या अपनी कुर्सी छोड़कर लोगों के बीच जा पहुंचे। यहाँ पर वह एक एक कर पीड़ितों के पास गए और उनकी समस्याएं सुनने लगे। यहाँ पर 65 वर्षीय पीड़ित अरुण कुमार पहुंचे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका भांजा उनकी जमीन और सम्पत्ति पर कब्जा कर रहा है। मामले को समझने के बाद दारोगा रमेश मौर्या ने कार्यवाई का भरोसा दिया। सुनवाई होती रही तभी थाना दिवस भी शुरू हो गया।
पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि उनके थाने में एक ऐसे दारोगा भी हैं जो बाकी पुलिसकर्मियों से हट कर कार्य कर रहे हैं। कार्य भी ऐसा कि इससे लोगों को तत्काल निदान भी मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि डीजीपी के आदेशानुसार जनसुनवाई का समय भले ही निर्धारित हो लेकिन दारोगा रमेश मौर्या कहीं उससे भी अधिक सक्रिय रहते हैं। क़ानून व्यवस्था के साथ ही थाने में आने वाले लोगों से मिलकर समस्याएँ सुन रहे हैं। साथ ही जो संभव निस्तारण हो उसपर काम भी करते हैं। ऐसे दारोगा जिले के अन्य पुलिसकर्मियों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।