फ़तेहपुर…जिला प्रशासन ने शहर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए प्रशासन ने कुछ सरकारी भवनों की दीवारों पर चित्रकारी एंव पेंटिंग का कार्य करवाया गया था । और इसके लिए लाखों रुपए खर्च किये गये थे। स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता के नारों से दीवारों में पेंटिंग कर सजाया गया था। शहर के सौंदर्यीकरण के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिला अस्पताल की दीवारों पर स्वच्छता के लिए जागरूक करते चित्रों को बनवाया गया था। जिसमे लाखों रुपए खर्च किए गये थे। पर आलम यह है कि पोस्टर चिपकाने की खुली छूट ने इन जागरूकता के चित्रों को ढक कर रख दिया है। या यूं कहें कि दीवालों को सुंदर दिखने के लिए बनी पेंटिंग पर पोस्टरबाजी के कम्पटीशन ने इन खूबसूरत दीवालों को बदसूरत बना दिया है। सरकारी भवनों की दीवारों पर रंग-रोगन,पेंटिंग व उनकी सौंदर्यीकरण होते समय जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक विभाग के जिम्मेदार को आदेश देते हुए कहा गया था कि शहर की जिन सरकारी भवनों की दीवारों पर रंग-रोगन कर उनका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है उन्हें हर हाल में साफ सुथरा रखा जाएगा। इन्हें बदरंग नहीं होने दिया जाएगा। यदि किसी कंपनी या संस्था का पोस्टर, पम्पलेट और बैनर चस्पा मिला तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार जिस विभाग की दीवालों की पेंटिंग्स व संदेशों को ढका गया है। उन्हें जिम्मेदारी पूर्वक इन्हें हटवाना होगा और चिपकाने वाले के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।

उधर इन मामले पर पोस्टरबाजी और फ्लैक्स लगाने की खुली छूट सरकारी तंत्र का मजाक उड़ा रही है। इन पोस्टरों से शहर की सुंदरता पर ग्रहण लग रहा है। इन पोस्टरों को इस तरह के रसायनों से चिपकाया जाता है जिससे इमारतों के रंग-रोगन तक खराब हो जाते हैं। इस तरह के पोस्टरों को चिपकाने वालों ने सरकार द्वारा दिशानिर्देशों के लिए बनवाई गई पेंटिंग्स को भी नहीं छोड़ा है। इससे उस पर लिखा संदेश भी पढ़ना मुश्किल है। इसके लिए जिला प्रशासन को वॉल पेंटिंग, खराब होने से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए जिससे दीवालों पर लिखा संदेश लोग आसानी से देख सकें पढ़ सकें तथा शहर की सुंदरता भी बरकरार रह सके।

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