छिवलहा राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में राजकीय माध्यमिक विद्यालय अकबरपुर चोराई के प्रधानाचार्य प्रमोद द्विवेदी ने विद्यार्थियों को बताया कि विधिक सेवा दिवस प्रत्येक वर्ष नौ नवंबर को राष्ट्रीय न्यायिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। और उन्हें सामान्य जीवन में न्याय व्यवस्था से रूबरू कराया जाता है। विधिक सेवा दिवस की शुरुआत पहली बार 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए की गई थी। पिछड़ेपन के कारण न्याय से कोई भी व्यक्ति वंचित न रहे। शिक्षक राजेश मौर्य ने बताया कि अशिक्षा, गरीबी एवं पिछड़ेपन के कारण न्याय से कोई भी व्यक्ति वंचित न रहे। इसके लिए जरूरतमंद व्यक्तियों को सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से विधिक सेवा संस्था की स्थापना की गई है।
वरिष्ठ शिक्षक अवध किशोर ने कहा कि कहा कि सभी को अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। जिससे जीवन में सर्वांगीण प्रगति आ सके। विपिन श्रीवास्तव ने कहा कि हमें कानून को समझकर शांतिपूर्वक रहना चाहिए। लड़ाई-झगड़े और सामाजिक द्वेष से दूर रहना चाहिए। मनीष सिंह जी ने बताया कि कानूनी सहायता कार्यक्रम, उसके मूल्यांकन एवं निगरानी के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की स्थापना की गई है।