कौशाम्बी। जिले में मंगलवार को मोहर्रम माह के मद्देनजर गमगीन माहौल में ताजियों का जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से निकाला गया। शहीदाने कर्बला की याद में अजादारों ने या हुसैन या हुसैन की सदा बुलंद की। ताजियों के जुलूस करबला पर जाकर संपन्न हुए, जहां देश के लिए दुआएं खैर मांगी गईं। इमाम हसन, इमाम हुसैन की शहादत को याद किया गया।
जिले में हर साल की तरह ताजियों का जुलूस अलग अलग रास्तों से निकाला गया। ताजियों के जुलूस के साथ बड़ी संख्या में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल मौजूद रहा। इमामबाड़ा किला, इमामबाड़ा नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में इमाम हुसैन की याद में मजलिस हुई, जिसमें इमाम हुसैन का करबला का वाकया पेश किया गया। इस को सुनकर लोग गमजदा हुए। भूखे और प्यासे इमाम हुसैन के लश्कर को यजीद ने शहीद कर दिया था। खैबर के मैदान में मजमा यानी भीड़ लगी हुई थी। कर्बला के मैदान में तमाम हीरे थे और उनके बीच हजरत इमाम हुसैन ने हजरत अब्बास को अलम सौंपा। शिमर को पकड़ लिया गया और मुख्तार के सामने पेश किया गया। मुख्तार ने पूछा शिमर बता मेरे आका हजरत इमाम हुसैन को तूने कत्ल किया? उसकी जुबान पर था कि मैंने 13 बार खंजर चला कर इमाम हुसैन के सिर को धड़ से जुदा किया। उस वक्त हुसैन के लब यानी होंठ हिले मैंने कान लगा कर सुना। हुसैन कह रहे थे, परवर दिगार मेरे नाना की उम्मत को बख्श देना। इसके बाद अजादार जोर जोर से गमगीन होकर रोने लगे। इस दौरान अजादारों ने मातम किया। अजादार मातम करते हुए कर्बला पहुँचे। अजादारों ने शाहीदाने कर्बला पर फातेहा पढ़ी और रो रो कर परवरदिगार की बारगाह ए रिसालत में दुआ की। बच्चों के लिये दुकाने लगीं, जिसमे छोटे बच्चों ने अपनी जरूरत के हिसाब से सामान खरीदा। ताजियों के जुलूस के साथ बड़ी संख्या में अजादार, अकीदतमंद मौजूद रहे।