असोथर/फतेहपुर
नगर पंचायत असोथर के श्री मोटेमहादेव बाबा मंदिर के पास कृष्णपाल सिंह गौतम के आवास परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सती चरित्र का रोचक प्रसंग सुनाया गया भगवान शिव की बात को माता सती नहीं मानी और पिता के घर गयी वहां अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि को आग्नि दाह करना पड़ा था
भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक मयंक बाजपेयी ने सती चरित्र के रोचक प्रसंग का विस्तार से चर्चा किया यजमान कृष्णपाल सिंह गौतम द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक मयंक बाजपेयी ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका,अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान तो नही होगा यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए चाहे वह स्थान अपने जन्मदाता पिता का ही घर क्यों ना हों दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया था जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया लेकिन माता सती पति की बात को अनसुनी कर पिता के घर गयीं वहां अपमानित होने के कारण स्वयं का शरीर यज्ञ वेदी में जलाना पड़ा था
कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायक अविनाश बाजपेयी, मनीष बाजपेयी, अनुपम मिश्रा ने भजनों की प्रस्तुति दी। भागवत कथा सुनने आये श्रोतागणों ने भक्ति के साथ भागवतकथा का आनन्द लिया।