रविदास जयंती के उपलक्ष्य में उनकी रचनाओं का किया गया सस्वर पाठ

ईश्वर और इंसानों के बीच संबंधों की नई परिभाषा थे संत रविदास।

हथगांम कस्बे के प्रतिष्ठित आदर्श पब्लिक स्कूल में संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास जी की जयंती के अवसर पर उनकी रचनाओं का सस्वर पाठ किया गया। जहां छात्रों ने संत रविदास जी के जीवन के विभिन्न प्रसंगों को बड़े रोचक तरीके से सभी लोगों के सामने रखा। साथ ही साथ प्रार्थना सभा भी संत रविदास जी को समर्पित की गई।कक्षा एक के नन्हे मुन्ने छात्रों द्वारा संत रविदास के बारे में एक से एक रोचक ऐतिहासिक जानकारी साझा कीं गई। इस दौरान छात्रों ने बताया कि संत रविदास जी का जन्म 1377 ईस्वी में वाराणसी में हुआ था तथा उनके पिता का नाम संतोष दास और माता का नाम कलसा देवी था। कक्षा 1की अन्य छात्र महविश ने बताया कि संत रविदास अपनी आध्यात्मिक चेतना में उस बिंदु पर थे जहां मीराबाई ने उन्हें अपना गुरु माना था। वक्तव्य के क्रम को आगे बढ़ते हुए कक्षा 1 की छात्रा काव्या ने बताया कि संत रविदास जी निर्गुण ब्रह्म शाखा के उपासक थे। वंशिका ने गुरु रविदास जी की पंक्ति मन चंगा तो कठौती में गंगा की व्याख्या करते हुए इन पंक्तियों को हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि बताया। विद्यालय की छात्रा तेजस्वी ने संत रविदास जी के दयालु और सरल स्वभाव की कहानियां साझा की। कक्षा 1 के छात्र नेहल ने इस बात को प्रमुखता से रेखांकित किया की अक्षर ज्ञान न होने के बावजूद साधु संतों की संगति से संत रविदास आध्यात्मिक ज्ञान के अधिकारी हो पाए थे। अंशिका साहू ने बताया कि उनकी अनेक रचनाएं गुरु ग्रंथ साहब में संकलित की गई है जो उनकी सर्वमान्यता का प्रतीक है। विद्यालय की एक अन्य छात्र साहिबा ने संत रविदास के सेवाभाव के बारे में बताया कि, बचपन से ही वे साधु संतों की सेवा के लिए तत्पर रहते थे। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रमिला मैम द्वारा किया गया जिन्होंने रविदास जी की एक रचना का सस्वर पाठ किया। विद्यालय परिवार की एक अन्य सदस्य रेखा श्रीवास्तव द्वारा प्रभुजी तुम चंदन हम पानी की शानदार संगीतमय प्रस्तुति दी गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य सतीश द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संत रविदास भक्ति काल की आकाशगंगा के ध्रुव नक्षत्र हैं। विद्यालय प्रबंधक चंद्र कुमार सिंह गुड्डू भैया ने कहा कि महापुरुषों के जीवन को किसी जाति से जोड़कर देखना उनके व्यक्तित्व के साथ अन्याय है। महात्मा रविदास जैसे व्यक्ति समूह की मानवता के लिए एक धरोहर हैं जिसका छात्रों को ज्ञान होना अति आवश्यक है।इस अवसर पर श्रीमती विनती श्रीवास्तव, शाफिया मैम, ओपी सर, महेश सर, पूनम , ऋतु, पवन , फिरदौस,एरम, , समेत स्टाफ के सभी लोग मौजूद रहकर आयोजन को गति देते रहे।

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