जिसमे समरसता गोष्ठी एवं समरसता भोज कार्यक्रम संपन्न हुआ सभा को सम्बोधित करते हुए प्रांत समरसता प्रमुख शिव स्वरुप विश्वकर्मा ने कहा की बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू गांव में हुआ इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल तथा माता का नाम भीमा बाई था डाक्टर साहब अपने माता पिता की 14 वी संतान थे तथा इनका जन्म महार जाति में हुआ जिसे तथा कथित लोग अछूत मानते थे अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक दुराव का सामना करना पड़ा प्रतिभा शाली होने के बौजूद स्कूल में उनको अस्पृश्यता के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा इसके बाव जूद उन्होंने हार नहीं मानी अंबेडकर जी दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संहर्ष करते रहे उन्होंने बहुत कम समय के लिए बौद्ध धर्म स्वीकार किया साथ ही सभी दलित एससी एसटी ओबीसी बंधुओ को कहा की आप लोग ईसाई और इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करना अंबेडकर जी ने सामाजिक छुंवा छूत और जातिवाद के खात्मे के लिए काफी आंदोलन किए उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अपने आपको न्यौछावर कर दिया अंबेडकर जी ने खुद भी छूवा छूत भेद भाव और जातिवाद का सामना किया जिसने भारतीए समाज को खोखला कर दिया बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से मतलब मौत के बाद निर्वाण बौद्ध के अनुसार जो निर्वाण प्राप्त करता है वह सांसारिक इच्छाओं और जीवन की पीड़ा से मुक्त हो कर धरती पर बार बार जन्म नहीं लेता धमपद में बुध कहते हैं निर्वाण ही परम आनंद है यह आनंद चिर स्थाई और सर्वोपरि होता है जो ज्ञानोदय या बोधि से प्राप्त होने वाली शक्ति का एक अभिन्न अंग है यह आनंद नश्वर वस्तुओ की खुशी से एकदम अलग होता है इन्होंने संबिधान सभा का गठन कर ऐतिहासिक कार्य किया और भारत रत्न से सम्मानित हुए इन्होंने 6 दिसंबर 1956 को गोलोक वासी हो गए जिनकी आज पुण्य तिथि परि निर्वाण दिवस सारे देश में मनाया जा रहा है। इस कार्य क्रम में खागा जिला प्रचारक चंदन जी, नगर प्रचारक पावन जी , विहिप जिला उपाध्यक्ष नरेश चंद्र कश्यप जी, समाज सेवी ज्ञानेन्द्र जी, सामाजिक समरसता विभाग टोली सदस्य रामविशाल अंबेडकर जी एवं हजारों अंबेडकर अनुयाई भाई बहन तथा सभी मत पंथ संप्रदाय के लोग उपस्थित रहे।
भवदीय
डाक्टर शिव स्वरुप विश्वकर्मा
प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख विश्व हिंदू परिषद कानपुर प्रांत

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