अदालत का मृतक फगुवारे के खुलेआम घूमने के बाद उस पर कार्रवाई करने से थाना पुलिस ने खड़े किए हाथ

अभियुक्त द्वारा किए गए हेरा फेरी के इस मामले को उजागर करना पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है

कौशांबी। अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश करने वाली थाना पुलिस मुकदमा की सुनवाई के दौरान अदालत के निर्णय को थाने के अपराध रजिस्टर में नही दर्ज करती है जिससे पुलिस को यह नहीं पता कि कितने मुकदमे अदालत में लम्बित है और कितने मुकदमे का निस्तारण हो गया है इतना ही नहीं किस मुकदमे में सुनवाई के दौरान अभियुक्त की मौत हो गई है जिससे अदालत में मुकदमे की पत्रावली बंद हो गई इस बात का भी जिक्र थाना के अपराध रजिस्टर में पुलिस द्वारा नहीं किया जाता है जिसका फायदा शातिर अपराधी उठाते हैं और अदालत में मृतक घोषित हो जाते हैं थाने के रजिस्टर में वह जीवित रह जाते हैं जिससे दोबारा इन शातिर अपराधी पर थाना पुलिस कार्रवाई नहीं करती है जबकि वास्तविकता में वह जीवित होते हैं और समाज का अमन चैन खराब करते हैं जब मामले को लेकर पुलिस अधिकारियों से शिकायत होती है तो थाना पुलिस जांच के दौरान यह कह देती है कि पुलिस के अपराध रजिस्टर में उपरोक्त अपराधी मृतक नहीं घोषित है और उसे अदालत की कार्यवाही का पता नहीं है जबकि अदालत में झूठे तरीके से मृतक घोषित हो चुका है।

लोगों ने पुलिस अधिकारियों से सवाल उठाया है कि अदालत की पत्रावली में की गई कार्यवाही का पूरा विवरण पुलिस के अपराध रजिस्टर में दर्ज करने की जिम्मेदारी किसकी है मुकदमे की वर्तमान में क्या स्थिति है थानेदार को जानकारी नहीं हो पाती है तो उनका गुनाह क्या है आखिर आला अधिकारियों के निर्देश पर मुकदमे की पैरवी में थाना पुलिस क्या कर रही है जबकि हकीकत में अदालत की कार्यवाही से थाना पुलिस को जानकारी ही नहीं है इसी तरह का एक ताजा मामला पश्चिम शरीरा थाने के अभियुक्त फगुआरे का सामने आया है फगुआरे को थाना पुलिस ने तमंचा कारतूस के साथ गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था जहां से जेल भेज दिया गया था यह मामला थाने के अभिलेखों में दर्ज है जेल जाने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र में सुनवाई के दौरान अदालत ने फगुवारे को जमानत दे दी है जमानत पर रिहा होने के बाद फगुवारे अदालत में नहीं हाजिर हुआ जिस पर उसके खिलाफ अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया गिरफ्तारी वारंट के बाद तत्कालीन थानेदार ने अदालत को सूचना भेज दी कि वारंटी फगुआरे की मौत हो गई है जिस पर तमंचा के इस आरोपी की पत्रावली अदालत से बंद हो गई है लेकिन पुलिस अभिलेख में फगुवारे अभी जिंदा है इसका जिक्र वर्तमान थानेदार ने अधिकारियों को भेजे ट्विटर की सूचना में किया है खुलेआम इलाके में फगुवारे जीवित होकर टहल रहा है हकीकत में फगुआरे अभी जीवित है।

अदालत से मृतक और खुलेआम जिंदा घूमने वाले फगुवारे के मामले की शिकायत ट्विटर के माध्यम से पुलिस अधिकारियों को की गई तो वर्तमान थानेदार ने यह कह कर शिकायत का निस्तारण कर दिया कि फगुवारे को पुलिस अभिलेख में मृतक नहीं घोषित किया गया है और अभिलेख में भी फगुवारे मृतक नहीं है अब सवाल उठता है कि अदालत की पत्रावली में मृतक घोषित होने वाले फगुवारे को थाना के अभिलेखों में कब और किन परिस्थितियों में मृतक दर्ज किया जाएगा इस जीवित फगुवारे के जीवित रहने के मामले को आखिर थाना पुलिस कब खुलासा करेगी इतने गंभीर प्रकरण पर भी पुलिस अधिकारी गंभीर नहीं है यदि इस प्रकरण पर पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया तो फगुआरे को मृतक घोषित करने वाले तत्कालीन थानेदार पर कठोर कार्रवाई होगी इतना ही नहीं फगुआरे के तमंचे के मुकदमा की सुनवाई फिर से शुरू होगी और उस पर हेरा फेरी धोखाधड़ी का भी मुकदमा दर्ज होगा वर्तमान थानेदार द्वारा पुलिस अधिकारियों को ट्विटर के माध्यम से सूचना भेजी गई है कि पुलिस अभिलेख में फगुवारे की मौत नहीं है लेकिन इस मामले में थानेदार ने पुलिस अधिकारियों को यह नहीं बताया कि इस मुकदमे की मॉनिटरिंग कितने वर्ष पहले से नहीं की गई है आखिर मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा निर्णय की जानकारी करने की जिम्मेदारी क्या वर्तमान थानेदार की नहीं है या फिर अभियुक्त द्वारा किए गए इस हेराफेरी के मामले को उजागर करना पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है संपूर्ण प्रकरण को यदि अधिकारियों ने गंभीरता से लिया तो जहां फगुवारे की मुसीबत बढ़ेगी वहीं पूर्व थानेदार के साथ-साथ वर्तमान थानेदार की भी मुसीबत बढ़ना तय हैं।

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