कोटवाधाम के सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के बरोलिया गांव स्थित पारिजात वृक्ष महाभारतकालीन बताया जाता है। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी तहसील प्रशासन सहित वन विभाग को दी गई। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया।
कोटवाधाम के सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के बरोलिया गांव स्थित पारिजात वृक्ष महाभारतकालीन बताया जाता है। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी तहसील प्रशासन सहित वन विभाग को दी गई। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया। यहां पर बच्चों के लिए झूला, बैठने के लिए बेंच, पेयजल के लिए फ्रीजर लगाए गए थे, मगर देखरेख के अभाव में जर्जर हो गए हैं। पूरे परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। इससे पर्यटक व श्रद्धालुओं को परेशानी होती।
पंचवटी जिसमें पांच प्रकार के पेड़ लगे हैं। मगर इन पेड़ों में कोई पानी देने वाला नहीं है। यहां बिजली आपूर्ति भी लकड़ी के खंभों से हो रही है। एक ट्रांसफाॅर्मर कुछ दिनों से फुंका पड़ा है, इसे बदला नहीं गया है। वही शबरी की बनी पुरानी मूर्ति भी जर्जर हो गई है। भगवान विष्णु का चक्र नीचे से टूट गया है और उसमें बरसात का गंदा पानी भरा हुआ है। सरकारी कैंटीन की भी हालत बेहद दयनीय है। वह कभी चली तक नहीं और भवन जर्जर हो गया।
पंचवटी जिसमें पांच प्रकार के पेड़ लगे हैं। मगर इन पेड़ों में कोई पानी देने वाला नहीं है। यहां बिजली आपूर्ति भी लकड़ी के खंभों से हो रही है। एक ट्रांसफाॅर्मर कुछ दिनों से फुंका पड़ा है, इसे बदला नहीं गया है। वही शबरी की बनी पुरानी मूर्ति भी जर्जर हो गई है। भगवान विष्णु का चक्र नीचे से टूट गया है और उसमें बरसात का गंदा पानी भरा हुआ है। सरकारी कैंटीन की भी हालत बेहद दयनीय है। वह कभी चली तक नहीं और भवन जर्जर हो गया।
शौचालय दो-दो बने हुए हैं, मगर चालू एक भी नहीं हुआ है। इसके अलावा परिसर में लगी हाईमास्क लाइट भी खराब पड़ी है। इसके अंदर वन विभाग द्वारा नर्सरी भी लगाई गई है जिसमें लगे पेड़ सूख रहे हैं। जिससे देश-विदेश से पारिजात वृक्ष के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी कमी आ रही है। एसडीएम आनंद तिवारी का कहना है कि संबंधित अधिकारियों को अवगत कराकर वहां की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जाएंगी।
ईको पर्यटन भी अधर में लटका
बीते दिसंबर में वन विभाग द्वारा पारिजात वृक्ष प्रांगण में पड़ी जमीन को ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का खाका तैयार किया था। मगर तीन माह बाद भी अभी तक कार्य शुरू नहीं किया गया। पुजारी मंगल दास ने बताया कि पारिजात के लिए हर वर्ष लाखों रुपये आते है। मगर कार्य कोई नहीं होता है। वन विभाग के उपनिरीक्षक तुषार कुमार ने बताया कि जल्द ही पारिजात को बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्लान तैयार किया जा रहा है।