लखनऊ : सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद अब बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी महिला आरक्षण को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं।
भाजपा और कांग्रेस की नीयत में खोट
मायावती ने कहा कि विधेयक में कई प्रावधान ऐसे हैं, जिससे महिलाओं को लाभ मिलने में 15-16 साल लग जाएंगे। विधेयक को जनगगणना और परिसीमन को पूरा करने के बाद लागू करने की बात कही गई है। सरकार को ये प्रावधान हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आरक्षण नहीं देना चाहती है। यह बिल महिलाओं को प्रलोभन देने और आखों में धूल झोंकने वाला है। मायावती ने कहा कि अभी तक जनगणना नहीं हुई है और परिसीमन होने में भी कई साल लग जाएंगे। उन्होंने ओबीसी समाज की महिलाओं के लिए आरक्षण में अलग से कोटा तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उम्मीद की जा रही थी कि महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा, पर पहले जनगणना और फिर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए परिसीमन कराए जाने के प्रावधान होने से इसमें काफी समय लग सकता है ।
महाझूठ से भाजपा ने शुरू की नई पारी
इससे पूर्व सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपने ट्विटर अकॉउंट पर लिखा था कि नई संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू की है। उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा कि नई संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू की है। जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या जरूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है और न जातिगत गणना के। इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है। इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरुद्ध वोट डालकर देंगी। इससे पहले उन्होंने लिखा था कि महिला आरक्षण में लैंगिक और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।
गुरुवार को होगी विधेयक पर चर्चा
आपको बता दें कि नए संसद भवन में पहले दिन की कार्यवाही के दौरान महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे सदन में रखा। लोकसभा में विधेयक पास होने के बाद इसे राज्य में पेश किया जाएगा। गुरुवार को ही इस पर राज्यसभा में चर्चा भी हो सकती है।